नई दिल्ली: महाराष्ट्र की सभी 288 विधानसभा सीटों और झारखंड के दूसरे चरण की 38 सीटों के लिए मतदान शुरू हो गया है। इसके अलावा आज 3 राज्यों की 14 सीटों पर भी उपचुनाव के लिए भी वोटिंग हो रही है। झारखंड में पहले चरण का मतदान 13 नवंबर को हुआ था।
महाराष्ट्र में हो रहे विधानसभा चुनावों की कुछ अहम सीटों पर नजर:
नागपुर दक्षिण-पश्चिम – देवेंद्र फडणवीस
नागपुर की इस विधानसभा सीट से मौजूदा उप-मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस लगातार चौथी बार चुनावी मैदान में हैं। 2008 में परिसीमन के बाद से ही इस सीट पर देवेंद्र फडणवीस का कब्जा रहा है। साल 2014 से लेकर 2019 तक वो महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री भी रहे हैं। उनके सामने कांग्रेस ने प्रफुल गुडाधे को टिकट दिया है, जो कि 2014 के चुनाव में देवेंद्र फडणवीस से हार चुके हैं।
कोपरी-पचपखड़ी – एकनाथ शिंदे
ठाणे जिले की इस विधानसभा सीट से राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे खुद चुनाव लड़ रहे हैं। 2008 में सीट के बनने के बाद से ही एकनाथ शिंदे ने हर चुनाव में यहां से जीत दर्ज की है। उनके सामने इस सीट से आनंद दिघे के भतीजे केदार दिघे की चुनौती होगी। आनंद दिघे को एकनाथ शिंदे का राजनीतिक गुरु कहा जाता है।
बारामती विधानसभा सीट – अजीत पवार
पुणे जिले की इस विधानसभा सीट से राज्य के उप-मुख्यमंत्री अजीत पवार चुनाव लड़े रहे हैं। इस सीट पर साल1991 में हुए उपचुनाव के बाद से ही अजित पवार ने सात बार जीत दर्ज की है। साल 1991 में वह बारामती लोकसभा सीट से सांसद चुने गए लेकिन उन्होंने बाद में सीट से इस्तीफा दे दिया। 2019 में वह शरद पवार की एनसीपी से अलग हुए और बीजेपी के साथ साझा सरकार में उप-मुख्यमंत्री का पद संभाला। उनके सामने उनके भतीजे युगेंद्र पवार एनसीपी (शरद पवार) की चुनौती होगी, जो कि शरद पवार की अगुवाई में चुनाव लड़ रहे हैं।
वर्ली – आदित्य ठाकरे
मुंबई शहर में आने वाली इस सीट से शिवसेना (उद्धव ठाकरे) प्रमुख के बेटे आदित्य ठाकरे चुनाव लड़े रहे हैं। उन्होंने अपने पहले चुनाव में इस सीट से 2019 का विधानसभा चुनाव जीता था। उनके सामने शिवसेना (शिंदे गुट) की तरफ से राज्यसभा सांसद मिलिंद देवरा को उतारा गया है। जिन्होंने इसी साल जनवरी में कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिया था।
बांद्रा पूर्व – जीशान सिद्दीकी
बांद्रा पूर्व की इस सीट से दिवंगत नेता बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी दूसरी बार एनसीपी (अजित पवार) के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। 2019 में उन्होंने कांग्रेस की टिकट पर इस सीट से चुनाव जीता था। इनके पिता लंबे समय तक कांग्रेस के नेता रहे, लेकिन इस साल के फरवरी महीने में उन्होंने अजित गुट की एनसीपी का हाथ थाम लिया था। वहीं अगस्त 2024 में जीशान को कांग्रेस ने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया। अपने पिता की ह*त्या के बाद वह भी अजित गुट की एनसीपी में शामिल हो गए। इनके सामने शिवसेना (उद्धव बाला ठाकरे) से वरुण सरदेसाई की चुनौती होगी, जो आदित्य ठाकरे के मौसेरे भाई हैं।
मानखुर्द-शिवाजीनगर- नवाब मलिक
मुंबई की इस सीट से एनसीपी (अजित गुट) की टिकट पर पूर्व कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक चुनाव लड़ रहे हैं। इन्होंने 1984 में पहली बार उत्तर मुंबई सीट से 25 साल की उम्र में बीजेपी के प्रमोद महाजन और कांग्रेस के गुरूदास कामत के खिलाफ चुनाव लड़कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। वह उद्धव ठाकरे की कांग्रेस और एनसीपी के साथ गठबंधन सरकार में अल्पसंख्यक, उद्यम और कौशल विकास विभाग के मंत्री भी रहे। इनके सामने शिवसेना (शिंदे गुट) की चुनौती होगी, जिन्हें बीजेपी सरकार से समर्थन मिल रहा है।
अब नजर डालते हैं झारखंड की कुछ अहम विधानसभा सीटों पर:
बरहेट – हेमंत सोरेन
संथाल परगना की बरहेट सीट से मौजूदा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं। इससे पहले उन्होंने दो बार इस सीट से जीत दर्ज की है। हेमंत सोरेन साल 2009 से 2010 में राज्यसभा के सदस्य भी रह चुके हैं। साल 2013 में उन्होंने पहली बार झारखंड के मुख्यमंत्री का पद संभाला। उनके सामने बीजेपी की तरफ से गमालियल हेम्ब्रम चुनाव मैदान में होंगे। पहले वे राज्य की ऑल झारखंड स्टूडेंट यूनियन यानी आजसू का हिस्सा भी रह चुके हैं।
गांडेय – कल्पना सोरेन
इस सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन चुनावी मैदान में हैं। इसी साल इस सीट पर हुए उपचुनाव में कल्पना सोरेन ने जीत दर्ज की थी। कल्पना सोरेन भारतीय सेना के रिटायर्ड अधिकारी अम्पा मुर्मू की बेटी हैं। उनके सामने बीजेपी की मुनिया देवी की चुनौती होगी, जो मौजूदा समय में गिरिडीह की जिला परिषद अध्यक्ष हैं।
धनवार – बाबूलाल मरांडी
इस सीट से झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी चुनाव मैदान में हैं। उन्होंने साल 2019 विधानसभा चुनाव में भी इस सीट से जीत दर्ज की थी। साल 2000 में बिहार से अलग होने के बाद मरांडी एनडीए के नेतृत्व में झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बने थे। साल 2006 में उन्होंने बीजेपी छोड़कर झारखंड विकास मोर्चा का गठन किया था, लेकिन साल 2020 में उन्होंने अपनी पार्टी का विलय बीजेपी में कर दिया। उनके सामने सीपीआई (एमएल) के राज कुमार यादव की चुनौती होगी, जिन्होंने साल 2014 विधानसभा चुनाव में इस सीट से जीत दर्ज की थी।