सवाई माधोपुर: राजस्थान सरकार के ग्रामीण विकास विभाग के अधीन संचालित राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (राजीविका) के माध्यम से सवाई माधोपुर जिले की हजारों ग्रामीण महिलाएं सिर्फ परिवार की जिम्मेदारी ही नहीं संभाल रहीं बल्कि स्वरोजगार के जरिए आर्थिक स्वतंत्रता की मिसाल भी पेश कर रही हैं। जिला परियोजना प्रबंधक डॉ. सरोज बैरवा ने बताया कि जिले की 1 लाख 20 हजार से अधिक महिलाएं 9 हजार 757 स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से राजीविका से जुड़कर आजीविका संवर्धन में जुटी हुई हैं।
इन महिलाओं ने प्रशिक्षण, ऋण सुविधा और कौशल विकास के माध्यम से अपनी और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ किया है। अब ये महिलाएं खुद का व्यवसाय कर न केवल आत्मनिर्भर बनी हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत भी बन रही हैं।
प्रियंका, गोकुल और पूजा सहित राजीविका की महिलाएं बनीं अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणादायीः
सवाई माधोपुर जिले की प्रियंका भार्गव, गोकुल देवी और पूजा देवी सहित अन्य महिलाओं ने राजीविका से जुड़कर अपनी मेहनत और लगन से खुद की पहचान बनाई है। जिले के बौंली उपखण्ड के ग्राम बास टोरडा निवासी प्रियंका भार्गव आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण फरवरी 2021 में “धनलक्ष्मी” स्वयं सहायता समूह से जुड़ीं। इसके पश्चात राजीविका के माध्यम से 1 लाख रुपये का ऋण प्राप्त कर लघु उद्योग प्रारम्भ कर लकड़ी और पत्थर की मूर्तियाँ बनाना शुरू किया।
अपनी मेहनत व लगन से गांव में स्वयं द्वारा संचालित स्थायी दुकान में लकड़ी और पत्थर की मूर्ति निर्माण कर प्रियंका भार्गव आत्मनिर्भर हो गई है और मूर्तियों की बिक्री कर 3 लाख रूपये से अधिक की वार्षिक आय अर्जित कर रही है। राज्य सरकार द्वारा बांस टोडरा मूर्ति कला को ‘‘एक जिला एक उत्पाद‘‘ योजना में भी मान्यता मिली है।
ब्लैक पोटरी से मिला गोकुल देवी को नया जीवन:
सवाई माधोपुर उपखण्ड के ग्राम श्यामोता निवासी गोकुल देवी एवं उनका परिवार परम्परागत रूप से काली मिट्टी के कलात्मक खिलौने एवं कलाकृति बनाते थे। वर्ष 2016 में गोकुल देवी “बालाजी” स्वयं सहातया समूह से जुड़ी और राजीविका के सहयोग से 50 हजार रुपये का ऋण प्राप्त कर अपनी कला को आगे बढ़ाया। आज उनकी वार्षिक आय 3.5 लाख रुपये तक पहुँच चुकी है एवं उनकी कला को राज्य व राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली हैं। उनकी ब्लैक पोटरी की हस्तशिल्प कला को राजीविका में “एक जिला एक उत्पाद” योजना में भी मान्यता मिली है।
जिले की 10 हजार महिलाएं बनी लखपति दीदी:
राजीविका के प्रशिक्षण, वित्तीय सहयोग से जिले में अब तक 10 हजार से अधिक महिलाएं अपनी आय एक लाख रूपये से अधिक बढ़ाकर लखपति दीदी की श्रेणी में शामिल हो चुकी है। नवाचार के रूप में “नमो ड्रोन दीदी” योजना द्वारा श्यामपुरा निवासी पूजा जागा कृषि क्षेत्र में भी फसलों में नैनो यूरिया का छिड़काव करने सहित अन्य तकनीकी दक्षता हासिल कर रही हैं।
ऐसी अनेकों प्रेरणादायी कहानियां साबित करती हैं कि राजीविका समूह से जुड़ी महिलाएं लघु उद्योग, गैर-कृषि, कृषि, पशुपालन आदि विभिन्न कार्य हेतु ऋण लेकर अपनी आवश्यकताओं की पूर्ण करने के साथ ही न सिर्फ आत्मनिर्भर बनी है, बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही है। यह उपलब्धि साबित करती है कि यदि सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर तक प्रभावी ढंग से पहुँचें, तो सामाजिक और आर्थिक बदलाव संभव है। यह पहल महिला सशक्तिकरण, वित्तीय समावेशन और सामाजिक भागीदारी की दिशा में एक अनुकरणीय उदाहरण भी प्रस्तुत करती है।