जयपुर: मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के निर्देश पर राजस्थान में सिरेमिक मिनरल्स के विपुल भण्डार के खनन से प्रसंस्करण तक विश्वस्तरीय शोध, तकनीक, विश्वस्तरीय उत्पाद तैयार करने और प्रदेश के सिरेमिक मिनरल्स की राज्य में ही प्रोसेसिंग को बढ़ावा देकर सिरेमिक क्षेत्र में देश दुनिया में राजस्थान की पहचान बनाने के लिए राज्य सरकार ने पहल की है।
खान सचिव आनन्दी ने बताया कि मुख्यमंत्रीं भजन लाल शर्मा के निर्देश पर प्रदेश में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर सेरेमिक्स की स्थापना की जाएगी। प्रदेश में सिरेमिक मिनरल्स बाल क्ले, सिलिका सैंड, क्वार्ट्ज, चाइना क्ले, फेल्सपार इत्यादी बीकानेर, अजमेर, बाड़मेर, भीलवाड़ा, चित्तोडगढ़, जयपुर, करौली, नागौर, पाली व राजसमन्द जिलों में विपुल भण्डार उपलब्ध है।
आनन्दी ने यह जानकारी देश एवं प्रदेश के सिरेमिक क्षेत्र में शोध, अध्ययन, खनन, प्रसंस्करण कर रहे विशेषज्ञों से एक्सीलेंस की स्थापना को लेकर आपसी अनुभवों व सुझावों को साझा करते हुए दी है। सिरेमिक मिनरल्स का ग्लास, सिरेमिक्स, बिजली के काम आने वाले इंसूलेटर, टायलेट में काम आने वाले सेनेटरीवेयर उत्पाद, रियल एस्टेट में काम आने वाली टाइल्स, पॉट्री, ब्रिक्स, सेमी कण्डक्टर सहित विभिन्न उत्पादों को तैयार करने में सिलिका मिनरल्स की प्रमुख व प्रभावी भूमिका है।
उन्होंने बताया कि पूरा कच्चा माल राजस्थान में उपलब्ध होने के बावजूद टाइल्स उद्योग मोरवी में फल-फूल रहा है। जयपुर वोन चाइना का बड़ा सेंटर है तो प्रदेश में जानी मानी कंपनियां ग्लास उत्पादन कार्य कर रही है। सिलिका में आयरन कंटेट को 100 पीपीएम या नीचे स्तर पर लाने की चर्चा के दौरान उन्होंने कहा कि इस तरह के शोध, विकास और विश्वस्तरीय तकनीक को अपनाने से ही संभव है। सिलिका में आयरन कंटेट 100 पीपीएम से नीचे के स्तर पर लाने की तकनीक के उपयोग से विश्वस्तरीय सिलिका उत्पाद खासतौर से ग्लास उत्पाद तैयार हो सकते हैं।