सवाई माधोपुर:- आखातीज और पीपल पूर्णिमा को हिंदू संस्कृति और धार्मिक मान्यताएं शुभ मुहूर्त मानती हैं। इस कारण इन दिनों में “अबूझ सावें” ज्यादा होते हैं। ऐसे अवसरों पर उपखंड क्षेत्र में बाल-विवाह आयोजित होने की अक्सर शिकायतें आती हैं। लेकिन उपखंड प्रशासन ने अपनी अधीनस्थ मशीनरी को अलर्ट कर दिया है। उपखंड मजिस्ट्रेट एवं बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी बद्रीनारायण विश्नोई ने आमजन को आगाह किया है कि बाल-विवाह एक सामाजिक बुराई है, लेकिन सिर्फ़ क़ानून का भय इन बाल-विवाहों पर स्थायी रूप से रोक नहीं लगा पाएगा।
उनका मानना है कि बाल विवाह उन्मूलन के लिए सामाजिक चेतना और शिक्षण की ज़रूरत है। पहले शिक्षा के अभाव के कारण बाल-विवाह जैसी बुराई को रूढ़िवादी समाज और पंच-पटेलों की अभिस्वीकृति थी। कालांतर में शिक्षा, विज्ञान, तकनीक, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, सोशल मीडिया द्वारा बाल-विवाह के भावी दुष्परिणामों के बारे में समाज में जागरूकता आई है। बाल-विवाह रोकना हमारी सामुहिक ज़िम्मेदारी है।
वार्ड पंच, सरपंच, सामाजिक कार्यकर्ता, एनजीओ, महिला सहायता समूह, परामर्श केंद्र और अन्य जन प्रतिनिधिगण विभिन्न सामाजिक चेतना बैठकों और ग्राम सभाओं के माध्यम से जनता को बाल-विवाह के प्रति जागरूक कर इस बुराई पर अंकुश पाया जा सकता है। इसमें सरकारी मशीनरी की रचनात्मक भूमिका बहुत ज़रूरी है। शिक्षा, चिकित्सा, पंचायतीराज, राजस्व, न्याय, कृषि, आईसीडीएस, पुलिस और समाज कल्याण विभागों के व्यापक सामाजिक चेतना और प्रभावी शिक्षण के प्रयासों से हम बाल विवाह को जड़ से ख़त्म कर सकते हैं।
इस कार्य में विभिन्न प्रिंटिंग प्रेसों का भी सहयोग अपेक्षित है। प्रिंटिंग प्रेस शादी के कार्ड छापने से पूर्व संबंधित की आयु का पुख़्ता प्रमाण पत्र लेवे। बाल-विवाह आयोजन की स्थिति में पुलिस – प्रशासन को 100 और 181 कॉल सेंटर नम्बर पर तुरंत सूचित करें। बाल विवाह में सहयोगकर्ता टेंट लगाने वाले, हलवाई आदि भी बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 के तहत दोषी होंगे।
बाल विवाह पर प्रतिबंध के लिए विभिन्न क़ानूनी प्रावधान भी है। उपखंड स्तर पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी संबंधित उपखंड मजिस्ट्रेट होते हैं, जिन्हें बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की धारा 6 की उपधारा 16 में वर्णित विभिन्न प्रावधानों के तहत शक्तियाँ प्राप्त है। इस संबंध में राजस्थान सरकार, जयपुर,के गृह विभाग (गृह-13) द्वारा दिनांक 29 फ़रवरी 2024 को परिपत्र भी जारी किया गया है।