नई दिल्ली: हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडियामजलिए-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने प्रस्तावित वक्फ बिल को लेकर कई सारे सवाल खड़े किए हैं। ओवैसी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में आंध्र प्रदेश के तिरुमला तिरुपति देवस्थानम बोर्ड का हवाला देते हुए कहा है कि टीडीडी बोर्ड में 24 सदस्य बनाए गए हैं। उन सदस्यों में कोई भी नॉन हिंदू नहीं है। जितने भी 24 सदस्य हैं वे टीडीड के वे सभी हिंदू हैं।
जो नए चेयरमैन बनाए गए हैं उन्होंने कहा है कि जो कोई भी वहां काम करेगा वो हिंदू होना चाहिए। ओवैसी ने कहा कि हिंदू धर्म के हिसाब से टीडीडी के चेयरमैन ये काम कर रहे हैं। लेकिन पीएम मोदी की सरकार प्रस्तावित वक्फ बिल में कह रही है कि स्टेट वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ काउंसिल में मुसलमानों की संख्या को कम किया जा रहा है। ओवैसी ने प्रस्तावित वक्फ बिल का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्रीय वक्फ काउंसिल में सात मुसलमान होंगे।
इसके सदस्यों में अनिवार्य रूप से दो ग़ैर-मुसलमान होंगे। लेकिन इनकी संख्या 12 तक भी जा सकती है। गैर-मुसलमानों को स्टेट वक्फ बोर्ड और केंद्र की वक्फ काउंसिल में क्यों रख रहे हैं। आफ वक्फ बिल में ऐसा प्रावधान क्यों ला रहे हैं। वक्फ बोर्ड मुसलिम धर्म के लिए है, लेकिन इसमें मुसलमान नहीं गैर-मुसलमान होंगे। ओवैसी ने आगे कहा कि केंद्रीय वक्फ काउंसिल में गैर-मुसलमानों की बहुलता हो जाएगी। जब टीडीडी हिंदू धर्म की संस्था है वहां कोई ट्रस्टी कोई मुसलामन नहीं हो सकता है तो वक्फ बोर्ड में गैर-मुसलमान सदस्य कैसे बन सकता है?
ओवैसी ने संविधान के अनुच्छेद 25 के हवाले से हिंदू धर्म को लेकर कहा कि संविधान के अनुच्छेद 25 में हिंदू धर्म के तहत हिंदू, सिख, जैन, और बौद्ध धर्म को रखा गया है। लेकिन वक्फ के सदस्यों में केवल हिंदुओं को क्यों रखा जा रहा है। हैदराबाद के सांसद ने सवालिया लहजे में कहा कि हमारे धर्म के मामले में आप क्यों आ रहे हैं। नरेंद्र मोदी गैर-मुसलमान को वक्फ बोर्ड का सदस्य क्यों बनाना चाहते हैं। ये भारत के संविधन के धारा 26 का उल्लंघन है।
(सोर्स : बीबीसी न्यूज हिन्दी)