अजमेर: अजमेर शरीफ दरगाह के अंदर शिव मंदिर होने के दावे को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार से कई तीखे सवाल पूछे हैं। दरअसल,दक्षिणपंथी संगठन हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने एक याचिका दायर करते हुए दावा किया था कि अजमेर दरगाह शिव मंदिर की जगह बनाई गई थी।
इस याचिका की सुनवाई करते हुए राजस्थान की अजमेर जिला अदालत ने एएसआई, केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय और अजमेर दरगाह कमिटी को नोटिस जारी किया है। सिविल जज मनमोहन चंदेल ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 20 दिसंबर तय की है। समाचार एजेंसी एएनआई से ओवैसी ने कहा कि ख्वाजा अजमेर की दरगाह 800 सालों से है। उस दौर में मुगलों ने हुकूमत की। बादशाह अकबर ने वहाँ बहुत कुछ बनावाया था। मुगल के बाद मराठा आए।
उन्होंने अजमेर को 18000 रुपये में अंग्रेजों को बेच दिया। सन 1911 में जब क्वीन एलिजाबेथ आईं तो वहां पानी का हौज बनावाया। नेहरू से लेकर जितने भी प्रधानमंत्री बने, वहां पर चादर चढ़वाते हैं। आप बताएं क्या करना चाह रहे हैं ये लोग। आखिर बीजेपी और आरएसएस वाले मस्जिद दरगाहों को लेकर क्यों इतनी नफरत पैदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद वहाँ चादर भिजवाते हैं, वो क्या इस पर बोलेंगे? इसमें अल्पसंख्यक मंत्रालय को पार्टी बनाया है।
तो नरेंद्र मोदी सरकार क्या कहेगी कि वो दरगाह है या नहीं है? वर्शिप एक्ट का इस्तेमाल ही नहीं हो रहा है। कोर्ट आखिर इस कानून को क्यों नहीं संज्ञान में ले रही है। आप हर जगह जाकर बोलेंगे कि यहाँ मस्जिद या दरगाह नहीं थी कुछ और था तो कोई मुसलमान जाकर ऐसे ही बयान दे दे… ये कहां जाकर रुकेगा। ऐसे में कानून का राज, लोकतंत्र और कानून व्यवस्था कहां जाएगी। हमने देखा संभल में हुई हिं*सा में पाँच लोगों की जा*न चली गई।
यह हिं*सा देश हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि जो सियासत नरेंद्र मोदी और आरएसस कर रहे हैं, वो देश, भाईचारा और कानून व्यवस्था के हित में नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि वि*वाद में शामिल लोगों का ताल्लुक बीजेपी और आरएसएस से है। उन्हीं के इशारों पर ऐसी हरकत हो रही है।
(सोर्स : बीबीसी न्यूज हिन्दी)