कोटपूतली-बहरोड़: राजस्थान के कोटपूतली-बहरोड़ जिले के कीरतपुर गांव में 23 दिसंबर से बोरवेल में फंसी बच्ची को बुधवार को बाहर निकालकर सीधे जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने बच्ची को मृ*त घोषित कर दिया है। राजस्थान में पहली बार ऐसा हुआ है कि बोरवेल से इस तरह के रेस्क्यू करने में दस दिन का समय लगा है। एनडीआरएफ के असिस्टेंट कमांडेंट योगेश मीणा ने मौके पर मीडिया से बातचीत में कहा कि बच्ची को निकालने के लिए शुरू से ही सभी एक्सपर्ट की सलाह लेकर रेस्क्यू किया जा रहा था।
बोरवेल टिल्ट होने के कारण बच्ची करीब 170 फीट पर फंसी हुई थी। सुरंग बनाने के लिए पत्थर को काटा गया, जिसमें काफी समय लगा। बच्ची के बोरवेल में गिरने के अगले ही दिन से कोई मूवमेंट भी कैमरे में ट्रैक नहीं हुआ था। बोरवेल में गिरने के बाद से ही बच्ची तक पीने के लिए पानी भी नहीं पहुंचाया जा सका था। 700 फीट गहरे बोरवेल में चेतना करीब 170 फीट की गहराई पर फंसी हुई थी। रेस्क्यू टीमों ने हुक के जरिए उसे लगभग 20 फीट तक ऊपर खींचा था।
बीते दिनों बारिश के कारण कई बार रेस्क्यू ऑपरेशन भी रोकना पड़ा। कई देसी जुगाड़ फेल होने के बाद बोरवेल के पैरलल खुदाई की गई और बच्ची तक पहुंचने के लिए सुरंग बनाई गई थी। 23 दिसंबर को बोरवेल में गिरने की सूचना मिलने के बाद स्थानीय पुलिस प्रशासन मौके पर पहुंचा और बचाव कार्य शुरू किया गया। उसके बाद मौके पर एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें भी पहुंचीं। इस बचाव अभियान के लिए हरियाणा से पाइलिंग मशीन मंगाई गई और उत्तराखंड टनल हा*दसे के दौरान सफल रेस्क्यू करने वाले रैट माइनर्स को भी बुलाया गया था।