केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा कोचिंग संस्थानों के लिए गत गुरुवार को दिशा निर्देश जारी किए गए है, जिसका संयुक्त अभिभावक संघ ने स्वागत करते हुए कहा की 4 महीनों बाद सही आखिरकार अभिभावकों की मेहनत रंग लाई और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय को कोचिंग सेंटरों की मनमानी एवं बढ़ते आत्मह*त्या के मामलों को रोकने को लेकर भेजे गए 10 सुझावों में शिक्षा मंत्रालय ने काफी हद तक मोहर लगाई। संयुक्त अभिभावक संघ प्रदेश प्रवक्ता अभिषेक जैन बिट्टू ने कहा की 4 माह पूर्व कोटा शहर में लगातार 10 दिनों में 6-7 कोचिंग छात्र-छात्राओं ने आत्मह*त्या की थी। इस दौरान संयुक्त अभिभावक संघ ने राज्य सरकार सहित केंद्र सरकार को कोचिंग सेंटरों के मामले पर 10 सुझाव भेजें थे, जिसमें सबसे प्रमुख मांग कोचिंग छात्रों को विकली अवकाश की मांग रखी थी, क्योंकि पढ़ाई के बोझ तले छात्र मेंटली डिस्टर्ब हो रहे थे।
जिससे निकलने के लिए वह आत्मह*त्या जैसे निर्णय लेने पर मजबूर हो रहे थे, साथ ही हमने यह भी मांग रखी थी जिस दिन अवकाश हो उसके अगले दिन एग्जाम भी ना रखा जाए, क्योंकि ऐसा होने से छात्र पर वापस पढ़ाई का बोझ आ जायेगा और अवकाश का कोई मतलब नहीं मिलेगा। भेजे गए 10 सुझावों में संयुक्त अभिभावक संघ ने कोचिंग सेंटरों की मनमानी का मामला भी सामने रखा था और लगाम लगाने की बात कही थी। जिसमें प्रमुख मांग कोचिंग सेंटरो की फीस का मामला है कुछ छात्र पढ़ाई का दबाव सहन नहीं कर पाते है तो बीच में पढ़ाई छोड़ देते है किंतु कोचिंग सेंटर एक मुस्त फीस लेकर वापस फीस नहीं लौटते है हमने मांग की थी की छात्र ने जितने दिनों पढ़ाई की सुविधा ली है कोचिंग सेंटर केवल उतनी ही फीस वसूल करें और जब एक बार कोचिंग में एडमिशन हो जाए तो बीच सत्र में फीस नहीं बढ़ाई जाए।
गुरुवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने कोचिंग सेंटरों को लेकर जो निर्देश जारी किए है वह निर्देश स्वागत योग्य है राजस्थान में सबसे अधिक कोचिंग छात्र कोटा में है इसके बाद जयपुर, सीकर, झुंझुनूं, जोधपुर, उदयपुर इत्यादि शहरों में अच्छी संख्या में छात्र कोचिंग सेंटरो ने पढ़ाई करते है जिनकी प्रदेश में लगभग 5 लाख से अधिक संख्या है। केंद्र के इस निर्णय से 5 लाख छात्रों के अभिभावकों को निश्चित ही लाभ प्राप्त होगा। प्रदेश अध्यक्ष अरविंद अग्रवाल ने कहा की अक्सर देखा गया है की सरकार दिशा निर्देश तो जारी कर देती है किंतु सुस्त प्रशासन के रवेये से उनकी पालना नहीं हो पाती है जिसके चलते नागरिकों को बहुत सी परेशानियों का सामना करना पढ़ता है।
जैसे निजी स्कूलों की फीस का मामला है जिसको लेकर पूर्वर्ती भाजपा की वसुंधरा राजे सरकार ने वर्ष 2016-17 में फीस एक्ट कानून बनाया था, जिस पर दिसंबर 2020 में राजस्थान हाईकोर्ट और मई व अक्टूबर 2021 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आज तक राजस्थान के अधिकांश स्कूलों में पालना नहीं हो रही है। जिसका प्रमुख कारण प्रशासन की लापरवाही और प्रशासन व निजी स्कूल संचालकों की मिलीभगत का परिणाम है जिसके चलते प्रदेश के 2 करोड़ से अधिक अभिभावकों को फीस एक्ट कानून का लाभ नहीं मिल पा रहा है और मजबूर स्कूलों की मनमानी का शिकार होना पड़ रहा है।
कोचिंग सेंटरों को लेकर जारी किए गए दिशा निर्देश की पालना काफी हद तक प्रशासन के रवैये पर अटकी है, अगर प्रशासन का रवैया सुस्त रहता है तो ऐसे दिशा निर्देश केवल जुमले बनकर रह जायेंगे जो केंद्र सरकार का सबसे बड़ा फेलियर रहेगा। प्रदेश कोषाध्यक्ष सर्वेश मिश्रा ने कहा की कोचिंग सेंटरों को लेकर जारी दिशा निर्देश के बाद भी अगर कोचिंग सेंटर मनमानी करे तो प्रत्येक अभिभावक और छात्र संयुक्त अभिभावक संघ अपनी लिखित शिकायत एसएएस राजस्थान की जीमेल पते पर भेज सकते हैं।
केवल कोचिंग सेंटरों के छात्र ही नहीं बल्कि स्कूलों से संबंधित समस्याओं को लेकर भी शिकायत भेजी जा सकती है। संयुक्त अभिभावक संघ राजस्थान के प्रत्येक अभिभावक और छात्र का संगठन है जो प्रत्येक शिकायत पर अभिभावकों व छात्रों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है।