सवाई माधोपुर: बाघों की मौ*त और उनके लापता होने को लेकर चर्चा में चल रहे सवाई माधोपुर जिले के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में टाइगर टी-86 की मौ*त के बाद अब रणथंभौर टाइगर रिजर्व से 25 बाघों के लापता होने की रिपोर्ट सामने आयी है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व के सीसीएफ अनूप के आर का कहना है कि पिछले तीन सप्ताह के अंदर इनमें से 11 टाइगर फिर से लौट कर आ गए हैं। अब सिर्फ 14 टाइगर लापता हैं।
जिनकी जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी है। कमेटी दो माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। उल्लेखनीय है कि वन विभाग की 14 अक्टूबर तक की रिपोर्ट में सामने आया था कि रणथंभौर टाइगर रिजर्व से 25 बाघ लापता हो गए हैं। इस संबंध में सीसीएफ अनूप केआर ने बताया कि 14 अक्टूबर के बाद 11 टाइगर हमारे कैमरा ट्रैप में फिर से नजर आ गए हैं। ऐसे में अब लापता बाघों की संख्या सिर्फ 14 है। इनमें से कई बाघ ऐसे भी जिनकी उम्र औसत से काफी अधिक है। टाइगर रिजर्व से लापता हुए इन बाघों के मामले में जांच के लिए एपीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) राजेश गुप्ता की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी गई है।
जिसमें सीसीएफ (वाइल्डलाइफ) जयपुर टी मोहनराज, डीसीएफ (वाइल्डलाइफ) मानस सिंह भी शामिल हैं। यह कमेटी दो माह में लापता बाघों के संबंध में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिसमें बाघों के लापता होने की वजह को तलाशा जाएगा। सीसीएफ अनूप केआर ने बताया कि अभ्यारण्य से लापता बाघों में से कुछ बाघों की उम्र औसत से अधिक है, कई तो 22-22 साल के भी हैं। जबकि बाघ की औसत आयु 12 से 14 वर्ष होती है। ऐसे में कई बार बाघों की औसत आयु पूरी होने पर जंगल में उनकी प्राकृतिक मौ*त हो जाती है।
बाघ का श*व यदि समय पर नहीं मिले तो एक सप्ताह में डीकंपोज हो जाता है और उसे बाद में मिसिंग की श्रेणी में माना जाता है। कई बार बाघ पड़ोसी जिलों और पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश के जंगलों तक में चले जाते हैं। जिसकी वजह से नजर नहीं आते और उन्हें मिसिंग मान लिया जाता है। रणथंभौर टाइगर रिजर्व से लापता हुए बाघों को लेकर गठित की गई कमेटी इसके पीछे के कारणों का पता लगाएगी। अभ्यारण्य से बाघ किस वजह से लापता हुए है। उनकी प्राकृतिक मौ*त हुई है या आपसी संघर्ष में मा*रे गए, या कहीं शिकार हुआ और या फिर कहीं अन्यत्र पलायन कर गए है।