उर्दू भाषा के विश्व प्रसिद्ध कवि मुनव्वर राना का निधन उर्दू अदब के लिए एक अपूर्णीय क्षति है। वो बे बाकी और हक़ गोइ के शायर थे। उनकी शायरी में आम लोगों के जज़्बात, अहसासात और खयालात को बहुत खूबसूरती से उन्होंने पेश किया है। मां के हवाले से उनके शेर अमर हैं।
ये उद्गार आज राजकीय कला महाविद्यालय कोटा के उर्दू विभाग द्वारा मुनव्वर राना की याद में किए गए श्रद्धांजलि प्रोग्राम में कॉलेज के प्रिंसिपल प्रोफेसर रोशन भारती ने व्यक्त किए है। उर्दू विभाग के विभागाध्यक्ष मोहम्मद नईम ने मुनव्वर राना के साहित्यिक सेवाओं पर रोशनी डालते हुए कहा कि आज वो हमारे दरमियान नहीं हैं लेकिन उन का अदब हमेशा ज़िंदा रहेगा। उन्होंने कहा कि मुनव्वर राना ने न सिर्फ शायरी बल्कि गद्य में भी नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। उन की गद्य में भी शायरी की झलक मिलती है।
प्रो. नुसरत फातिमा ने उन के व्यक्तित्व पर रोशनी डालते हुए कहा कि वो दौरे जदीद के सब से बड़े शायर थे। वो बहुत मिलनसार और ज़िंदादिल इंसान थे। इसीलिए इन की शायरी में भी बेबाकी मिलती है। इस अवसर पर शोबे के उस्ताद अली रज़ा, रिसर्च स्कॉलर तरन्नुम और अफ़ज़ल ने भी मुनव्वर राना की शायरी के विभिन्न आयामों पर अपने विचार व्यक्त किए। स्नातक, स्नातकोत्तर के विद्यार्थियों ने भी अपने विचार रखे।
इस अवसर पर कला महाविद्यालय के विभिन्न संकाय सदस्य प्रो. सीमा सोरल, डॉ. दीपा चतुर्वेदी, प्रो. सीमा चतुर्वेदी, प्रो. लड्डू लाल मीणा, डॉ. रवि दत्त शर्मा, प्रो. जया शर्मा, प्रो. अंजली शर्मा, प्रो. मंजू गुप्ता, डॉ. सुप्रिया दुबे, डॉ. हिमा गुप्ता, डॉ. महावीर प्रसाद साहू, डॉ. पूनम मेनी, डॉ. रसीला, प्रो. गुंजिका दुबे, डॉ. विनीता रॉय, प्रो. वंदना शर्मा (लोक प्रशासन), सुमन गुप्ता, प्रो. विवेक शंकर, डॉ. अमिताव बासु, प्रो. राजेश बैरवा, प्रो. नीलम गोयनका आदि उपस्थित रहें। कार्यक्रम का संचालन प्रो. नुसरत फातिमा ने किया। अन्त में उर्दू विभाग के शोधार्थी मोहम्मद सोहेल ने सभी का आभार व्यक्त किया।