5 वर्ष में कोई विशेष उपलब्धि नहीं फिर भी टिकट लाने में कामयाब रहे जौनापुरिया
नमोनारायण मीना और दीया कुमारी पर भी हो रही है प्रत्याशी बनने की चर्चा
लोकसभा आम चुनाव 2019 की घोषणा के साथ ही भाजपा द्वारा टोंक सवाई माधोपुर लोकसभा सामान्य सीट से पुनः सुखबीर सिंह जौनापुरिया को दुबारा अपना प्रत्याशी घोषित कर इस सीट को दाँव पर लगा दिया है। हालाकि अभी तक काँग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है।
चर्चाओं में कांग्रेस की ओर से पूर्व केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण का नाम मीडिया में काफी चल रहा है, लेकिन अधिकृत घोषणा अभी नहीं हुई है। इन दिनों सोशल मीडिया पर इस प्रकार की खबरें भी चल रही है कि सवाई माधोपुर की पूर्व विधायक दीया कुमारी भी टोंक सवाई माधोपुर सीट पर चुनाव लड़ने के लिए काँग्रेस का दामन थाम सकती हैं। हालांकि एक इंटरव्यू में उन्होंने ऐसी चर्चाओं को अफवाह बताया है।
चर्चाओं के अनुसार भाजपा ने गत विधानसभा चुनाव में दीया को टिकट नहीं दिया, और हाईकमान ने उस दौरान संकेत दिये थे कि उन्हे लोकसभा का चुनाव लड़ाया जायेगा और भाजपा का आम कार्यकर्ता भी आश्वस्त था कि माधोपुर की विधायक अब भारतीय संसद में टोंक सवाई माधोपुर प्रतिनिधित्व करेंगी। लेकिन भाजपा ने निवर्तमान सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया को टिकट देकर संसदीय क्षेत्र के कार्यकर्ताओं को मायूस कर दिया।
ऐसे में कयास लगाये जा रहे हैं कि दीया कुमारी को अब भाजपा का कहीं से टिकट नहीं मिल रहा है तो उन्हे काँग्रेस का इस शर्त पर दामन थाम लेना चाहिए कि उन्हे पार्टी टोंक सवाई माधोपुर से टिकट दे।
राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि सांसद सुखबीर सिंह जौनापुरिया भले ही अपनी जीत के दावे कर रहे हों लेकिन उन्होने 5 वर्ष सांसद रहते टोंक सवाई माधोपुर को क्या दिया ये दोनों ही जिले के आम मतदाता अच्छी तरह जानते हैं, जबकि उनके कार्यकाल में केन्द्र व राज्य में भाजपा की सरकारें थी।
संसदीय क्षेत्र के टोंक को लम्बे समय से रेल से जोड़ने की मांग चल रही है, लेकिन कांग्रेस की सरकार रहते न तो पूर्व केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा जो कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला को हराकर टोंक सवाई माधोपुर से चुनाव जीत कर केन्द्र में 5 वर्ष वित्त राज्य मंत्री रहे पर टोंक को रेल से नहीं जोड़ पाये, जबकि उस दौरान प्रदेश व केन्द्र में कांग्रेस की सरकार थी।
उसके बाद सुखबीर सिंह जौनापुरिया इस क्षेत्र से टोंक को रेल से जोड़ने का वादा कर सांसद बन गये, प्रदेश और केन्द्र में भी उन्ही की सरकार बनी लेकिन आज भी क्षेत्र की जनता और कार्यकर्ता वहाँ का वहाँ है जहाँ पहले खड़ा था। यही नहीं जौनापुरिया ने टोंक के अलावा सवाई माधोपुर जिले को भी 5 वर्ष में कुछ नहीं दिया। यहाँ तक की टोंक में उन्होने समय तो खूब दिया पर सवाई माधोपुर में तो वे कार्यकर्ताओं को भी नहीं जोड़ पाये। पूरे 5 वर्ष खण्डार, सवाई माधोपुर व बामनवास विधायकों से दूरी बनाये रहे। परिणाम स्वरूप गत विधानसभा चुनाव में टोंक की चार में से तीन तथा सवाई माधोपुर जिले की 4 में से 3 पर कांग्रेस व एक पर निर्दलीय ने जीत दर्ज कर सांसद जौनापुरिया के कुशल नेतृत्व की पोल खोलकर रख दी।
लोग आश्चय कर रहे हैं, कि जिस सांसद ने 5 वर्ष सत्ता में रहते हुऐ अपने क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया हो फिर भी जीत के प्रति आशान्वित कैसे है। माधोपुर के लोग तो यह कहते नहीं थक रहे हैं कि टोंक को सत्ता में रहते रेल से नहीं जोड़ पाये, सवाई माधोपुर को हवाई सेवा से जोड़ने का वादा कर पहले दिन हवाई जहाज में खुद बैठकर माधोपुर आये, वो जहाज जौनापुरिया को छोड़कर जाने के बाद आजतक माधोपुर नहीं लौटा। स्थानीय रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को सुविधा के नाम पर लिफ्ट लगवाई लेकिन उद्घाटन के दिन खुद के बैठने के बाद से आज तक वो लिफ्ट यात्रियों के लिए नहीं चली। क्षेत्र के लोगों ने खासकर डेली यात्री संघ ने जयपुर सवाई माधोपुर के बीच ट्रेन की मांग की वो भी 5 वर्ष में नहीं चला पाये। यहाँ तक की फास्ट पैसेंजर गाड़ियों का किराया ओर बढ़ा दिया गया।
इन सारे हालातों को देखते हुऐ इस बार टोंक सवाई माधोपुर सीट किस दल की झौली में जायेगी तो अभी भविष्य के गर्भ में है, लेकिन भाजपा प्रत्याशी का कार्यकाल लोग देख रहे हैं, और यदि कांग्रेस से नमोनारायण आते हैं तो उनका कार्यकाल भी क्षेत्र की जनता देख चुकी है।
इन सबके बीच फिलहाल राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है, टोंक से विधायक बने सचिन पायलट प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री हैं। ऐसे में राजनैतिक समीकरण क्या बनते हैं ये तो अन्य प्रत्याशी घोषित होने के बाद तस्वीर साफ हो पायेगी। लेकिन सवाई माधोपुर की पूर्व विधायक दीया कुमारी कहीं क्षेत्र की राजनीति में दखल कर पाई तो सारे समीकरण बदल सकते हैं।