कर्नाटक में मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष डीके शिवकुमार आखिरकार 16 मई को दिल्ली पहुंच गए। डीके ने अपने प्रतिद्वंदी सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री बनाने पर फिलहाल सहमति दे दी है। इसके साथ ही कर्नाटक में राजस्थान वाले नाटक की शुरुआत हो गई है। अब भले ही सिद्धारमैया मुख्यमंत्री पद की शपथ ले लें, लेकिन डीके शिवकुमार के मन में मुख्यमंत्री नहीं बनने की कसक तो रहेगी। राजस्थान में जो लोकप्रियता सचिन पायलट की है, वैसी लोकप्रियता कर्नाटक में डीके की है। पहले भी सिद्धारमैया और डीके के बीच विवाद होता रहा है। सिद्धारमैया के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह विवाद और बढ़ेगा।
मुख्यमंत्री नहीं बनने पर डीके कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार को कितना सहयोग करेंगे, यह आने वाला समय ही बताएगा। राजस्थान में भी पांच साल अशोक गहलोत और सचिन पायलट के आपसी झगड़ों में ही गुजर गए। गहलोत मुख्यमंत्री तो बने, लेकिन उनका सारा ध्यान अपनी सरकार को बचाने में लगा रहा। 2020 में तो गहलोत को अपने 100 समर्थक विधायकों के साथ होटलों में एक माह तक बंधक रहना पड़ा। चुनाव आते आते अब इतने खराब हालात हो गए हैं कि सचिन पायलट को गहलोत सरकार के खिलाफ आंदोलन करना पड़ रहा है। यदि डीके शिवकुमार ने अपने समर्थक विधायकों को एकजुट नहीं रखा तो कर्नाटक में कोई सा भी नाटक हो सकता है। डीके शिव कुमार का गुस्सा सचिन पायलट से भी ज्यादा है।