डिजिटल बनने के चक्कर में अपनो से हो रहे है दूर
सवाई माधोपुर / Sawai Madhopur : वर्तमान समय में डिजिटल टेक्नोलॉजी (Digital Technology) हमारी दैनिक जीवन की लाइफ का एक अहम हिस्सा बन चुकी है। लोग स्मार्टफोन (Smart Phone) से लेकर सोशल मीडिया (Social Media) और वीडियो कॉल (Video Call) तक अपने करीबियों और से जुड़े रहने पर काफी भरोसा करने लगे हैं। एडवांस टेक्नोलॉजी (Advanced Technology) ने हमारे करीबियों के साथ जुड़ना पहले से कहीं ज्यादा आसान बना दिया है।
मोबाइल फोन के आने से जहां जिंदगी आसान हुई है, वहीं इसके लगातार इस्तेमाल से ना सिर्फ ये लोगों की मेंटल हेल्थ को बिगाड़ रहा है, बल्कि अपने निजी, पारिवारिक रिश्तों और रिश्तेदारों को भी उनसे दूर कर रहा है। दरअसल पहले जहां मोबाइल फोन एक जरूरत थी वहीं अब ये जरूरत के साथ लत बन चुकी है।
मोबाइल के बिना एक पल भी गुजारना मुश्किल:
मोबाइल (Mobile) फोन (Phone) की ऐसी आदत है की जिसके बिना लोगों का एक पल गुजारना भी मुश्किल हो गया है। ये लत अब पारिवारिक रिश्तों में भी दरार की वजह बन रही है। अक्सर देखा जाता है कि ज्यादातर लोग अपनी डिवाइस में इस कदर उलझे रहते हैं कि वो अपनों के साथ बेहतरीन पलों को एंजॉय तक नहीं कर पाते। ऐसे में स्थिति कभी न कभी इतनी बिगड़ जाती है कि रिश्ते में एक दूसरे के बीच गलतफहमियां पनपने लगती हैं और वहीं धीरे-धीरे रिश्ते टूटने का कारण बन जाती है।
सोशल मीडिया और फोन ही सब कुछ:
वर्तमान समय में जब सोशल मीडिया और फोन ही सब कुछ है। लोग एक मिनट भी उससे दूर नहीं रह सकते हैं। लोग किसी से मिलते समय भी फोन पर देखते रहते हैं या सोशल मीडिया पर स्क्रोल करते रहते हैं। उन्हें सामने वाले से ज्यादा जरूरी फोन पर बात करना लगता है। इस व्यवहार को अपमानजनक के रूप में देखा जा सकता है। एक ही छत के नीचे एक ही परिवार के लोग सब अपने-अपने मोबाइल फोनों इतना व्यस्त रहते है की एक-दूसरे से बातचीत करने के लिए भी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने लग गए हैं।
यही नहीं रोजाना एक साथ बैठकर होने वाली बातचीत और सोशल मीडिया ग्रुप्स पर होने लग गयी है। ऐसे में इन आदतों का सीधा असर पारिवारिक रिश्तों पर पड़ रहा है। स्मार्टफोन के इस्तेमाल से दूसरों की भावनाओं को समझना और भी मुश्किल हो जाता है। जब किसी का पूरा ध्यान स्मार्टफोन पर हो तो उसके चेहरे को पढ़ना मुश्किल है।
मोबाइल आने से बढ़ी दूरियां:
पहले के दौर में जब मोबाइल नहीं था, तो लोगों का आपस में काफी मिलना-जुलना होता था। संवाद का सिलसिला चलता रहता था। लोग एक-दूसरे के दर्द और भावना को समझते थे। साथ ही समस्याओं के निपटारे के लिए प्रयास करते थे। अब मोबाइल के आगमन के बाद बातें तो काफी हो रही हैं, लेकिन दिलों के बीच की दूरियां काफी बढ़ गई हैं।
लोगों के बीच उचित संवाद नहीं हो पा रहा है। व्यक्तिगत समस्याओं का जाल बढ़ रहा है और रिश्तों की बुनियाद कमजोर पड़ती जा रही है। आज के समय में एक ही घर में रह रहे लोग एक-दूसरे से बातचीत करने के लिए भी स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने लग गए हैं।
आभासी रिश्ते तोड़ रहे परिवारों को:
वर्तमान समय में जिस प्रकार लोग सोशल मीडिया और फोन का इस्तेमाल कर रहें हैं एवं डिजिटल क्रांति के नाम से कई प्रकार के डेटिंग ऐप पर ज्यादा समय बिता रहे, जिससे दूसरों के साथ बढ़ती नजदीकियां और बनते आभासी रिश्ते पारिवारिक संबंधों में तनाव पैदा कर रहे है। इस कारण पति-पत्नी के बीच गलतफहमी, मनमुटाव, लड़ाई-झगड़ा हुआ और मामला तलाक तक जा पहुंचता है।
टेक्नोलॉजी हमारे जीवन का अहम हिस्सा है। लेकिन इसका लगातार इस्तेमाल ना सिर्फ लोगों की मेंटल हेल्थ को बिगाड़ रहा है, बल्कि उनसे पार्टनर और रिश्तेदारों को भी दूर कर रहा है। मोबाइल फोन के अनुचित उपयोग के कारण आपसी रिश्तों को नुकसान पहुंचाने वाली जो नई आदतें बन रही हैं। बतौर समाज हम इस उपकरण की उपयोगिता को समझें और समय और रिश्तों की कीमत पर उसके व्यर्थ इस्तेमाल से बचें ताकि हम अनजाने में हमारे हाथ से फिसलती खुशियों को थाम सकें।
(लेख: किरोड़ी लाल मीना / Kirodi Lal Meena)