नई दिल्ली: (IAS Puja Khedkar): पूर्व ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सेवा परीक्षा में धो*खाधड़ी और गलत तरीके से ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) और दिव्यांग श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ उठाने की आरोपी पूजा खेडकर को 14 फरवरी तक गिर*फ्तारी से राहत दी है। जस्टिस बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने अग्रिम जमानत के अनुरोध वाली खेडकर की याचिका पर दिल्ली सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को नोटिस जारी किया।
14 फरवरी तक नहीं होगी कोई कार्रवाई:
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पूजा खेडकर के खिलाफ 14 फरवरी तक कोई दं*डात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी 2025 को होगी। बता दें कि 2023 बैच की पूजा खेडकर पर आरक्षण का लाभ लेने के लिए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा, 2022 के अपने आवेदन में गलत जानकारी देने का आरोप है। केंद्र सरकार की ओर से पूजा खेडकर के चयन प्रक्रिया की जांच के लिए समिति का गठन भी किया गया है, हालांकि उन्होंने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों का खंडन किया है।
ये आरोप है आईएएस पूजा खेडकर पर:
यूपीएससी ने खेडकर का आईएएस अधिकारी के रूप में चयन रद्द कर दिया और यहां तक कि गलत तरीके से आरक्षण का लाभ लेने के आरोपों की जांच के बाद उन्हें भविष्य में सिविल सेवा परीक्षा में बैठने से प्रति*बंधित कर दिया था। दिल्ली पुलिस ने भी पूजा खेडकर के खिलाफ कई अप*राधों के लिए एफआईआर दर्ज की है।
यूपीएससी ने उन्हें कई बार परीक्षा देने के लिए अपनी पहचान फ*र्जी बताने का दोषी पाया था। दिल्ली हाई कोर्ट को सौंपी गई स्टेटस रिपोर्ट में दिल्ली पुलिस ने दलील दी थी कि महाराष्ट्र कैडर की प्रोबेशनरी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर ने यूपीएससी परीक्षा के लिए दो अलग-अलग विकलांगता प्रमाण पत्र जमा किए थे। इसके बाद यह पता चला कि पूजा खेडकर के पिता (जो महाराष्ट्र सरकार के पूर्व अधिकारी थे) के पास 40 करोड़ रुपये की संपत्ति थी और वह गैर-क्रीमी लेयर ओबीसी कोटे के लिए योग्य नहीं थीं।