प्रदेश के सबसे बड़े और सक्रिय पत्रकार संगठन आईएफडब्ल्यूजे के सभी सदस्यों की ओर से मुख्यमंत्री राजस्थान सरकार भजनलाल शर्मा को एक खुला पत्र लिखा गया है। जिसका उद्देश्य छोटे दैनिक, साप्ताहिक, पाक्षिक समाचार पत्रों के साथ किये जा रहे अन्याय और सौतेले व्यवहार की तरफ आपका ध्यान आकर्षित करने के लिये है। यह समाचार पत्र जिलों व तहसील स्तर तक वहां के निवासियों के दुख तकलीफ की समस्याओं के साथ साथ सरकारी उपलब्धियों को भी प्रकाशित करतें हैं। लेकिन सरकारी अधिकारी इन समाचार पत्रों के सम्पादकों की घोर अनदेखी करते हैं। वे लोग सरकार द्वारा जारी प्रेस नोट व प्रेस वार्ताओं की सूचना तक नहीं देते है। विज्ञापन देना तो बहुत दूर की बात है। सरकार के जनसंपर्क विभाग की नीति है पत्रकारों का अधिस्वीकरण करना, लेकिन इस नीति का लाभ तहसील व जिला स्तरीय पत्रकारों को सरकार के नियम कायदे ऐसे है की उन्हे इस योजना का लाभ ही नहीं दिया जाता है। अगर किसी का अधिस्वीकरण हो भी जाता है तो उसे राजधानी तक आने वाली निगम की बसों में यात्रा की अनुमति नहीं होती। जिला स्तरीय अधिस्वीकृत पत्रकार केवल अपने जिले में ही यात्रा का लाभ उठा सकता है। नियमित रूप से छोटे समाचार पत्रों में विज्ञापन भी नहीं दिए जातें हैं।
छोटे समाचार पत्रों को स्थानीय पंचायतीराज, नगरपालिका, नगर परिषद, सार्वजनिक निर्माण, जलदाय विभाग तक के भी विज्ञापन जारी नहीं कर सभी राजधानी से प्रकाशित होने वाले बड़े समाचार पत्रों को दिए जाते हैं। इन विभागों के कोई विज्ञापन डीपीआर या संवाद के माध्यम से इन छोटे समाचार पत्रों को मिल भी जाते है तो ये विभाग उनके भुगतान तक नहीं करते हैं। वर्षों पूर्व विज्ञापन के लिए बनाई गई “ललित पंवार समिति” की रिपोर्ट भी आजतक पड़ी धूल चाट रही है, जिसे लागू किया जाना चाहिए। पत्रकारों की अन्य मांगों के लिए समय समय पर मुख्यमंत्री व तहसील, जिला स्तरीय दौरे पर आने वाले मंत्रियों, जिला कलेक्टर उपखंड अधिकारियों को ज्ञापन मांग पत्र दिए जाते है जिन पर आज तक कोई कार्यवाही का नहीं होना यही संदेश देता है कि सरकार पत्रकारों की समस्या के प्रति गम्भीर नहीं है।
कम से कम एक दिन पत्रकार समस्या समाधान का आयोजन जयपुर में सरकार को अपने खर्चे पर आयोजित करना चाहिए। जिसमें रजिस्टर्ड पत्रकार संगठनों के सदस्यों को आमंत्रित किया जाए। पत्रकार संगठन के लिए निःशुल्क कार्यालयों का आवंटन हो रखा है जिनमे राज्यभर के पत्रकारों को ठहरने की सुविधाएं होनी चाहिए थी, लेकिन इनपर कुछ लोगों ने कब्जे कर रखें हैं। आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है कि आप हमारी इन समस्याओं का सहानुभूतिपूर्ण समाधान करने के लिए निर्देश जारी करेंगे।