सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि किसी भी शख्स के सिर के ऊपर छत होना उसका मूलभूत अधिकार है। लेकिन अगर किफायती दाम पर लोगों को आवास उपलब्ध कराने में सरकारी नीतियां असमर्थ रहती हैं, तो ऐसे में अनाधिकृत कॉलोनियों का बनना तय है। अदालत ने यह टिप्पणी लखनऊ के अकबर नगर में 24 कथित अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को खारिज करने के लिए दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान की। सुप्रीम कोर्ट ने इन 24 अवैध कॉलोनियों को ध्वस्त करने के आदेश पर चार मार्च तक के लिए रोक लगा दी है।
अदालत ने राज्य सरकार से पूछा है कि जिन लोगों के घरो को ढहाया गया है, क्या उन्हें किसी तरह की आर्थिक मदद की जरूरत होती है। जस्टिस खन्ना ने कहा कि यहां सरकार की तरफ से कमियां हैं। सिर के ऊपर छत होना यानी घर होना लोगों का मूलभूत अधिकार है। न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा कि लोगों ने स्वीकार किया है कि ये जमीन सरकार की है और सरकारी जमीन पर निर्माण अवैध है। हालांकि, पीठ ने याचिकाकर्ताओं को अपना सामान निकालने के लिए चार मार्च रात 12 बजे तक का समय दिया है।