विजयदशमी पर्व के अवसर पर अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के प्रतिष्ठित वैश्विक फेसबुक पटल पर ” एक शाम : गुजरात के नाम ” कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का ऑनलाइन आयोजन हुआ। इस अवसर पर डभोई से जनाब मेहदी हुसैन खालिस, सूरत से जनाब प्रशांत सोमानी, सूरत से ही जनाब विपुल मांगरोलिया, वड़ोदरा से जनाब तनवीर उरूज, सूरत से ही शाहजहां शाद, सवाईमाधोपुर से डॉ. मधुमुकुल चतुर्वेदी एवं गाजियाबाद से पण्डित सुरेश नीरव ने शानदार काव्य पाठ किया है।
कवि सम्मेलन और मुशायरे का संचालन डॉ. मधुमुकुल चतुर्वेदी ने किया एवं अध्यक्षता पंडित सुरेश नीरव ने की। डॉ. मधुमुकुल चतुर्वेदी द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना के साथ कवि सम्मेलन का शुभारंभ हुआ।
मेहदी हुसैन खालिस ने अपनी रचना स्याही रात की जैसे उजाला चूमती है, कुछ ऐसे जुल्फ की लट उसका चेहरा चूमती है तथा तू मेरे हक में सुना अब के फैसला कोई, मैं कह सकूंगा के दुनिया में मेरा है कोई प्रस्तुत की।
प्रशांत सोमानी ने अपनी रचना अपने बारे में कुछ सोचा क्या, के साथ बैठे मगर यह रिश्ता क्या। बात दिल की तू शायरी में बोल, वहां किसी ने कभी रोका क्या प्रस्तुत की। विपुल मांगरोलिया ने अपनी रचना उसे बोलने की जरूरत नहीं है, अभी रोकने की जरूरत नहीं है। वो सच जो निकलता है बच्चों के मुंह, से उसे तोलने की जरूरत नहीं है प्रस्तुत की।
तनवीर उरूज ने अपनी रचना नींद से फासला बढ़ा लें क्या, हम तेरी याद को बुला लें क्या। दोस्तों से फरेब खाए हैं, दुश्मनों को गले लगा लें क्या प्रस्तुत की। शाहजहां शाद ने अपनी रचना सोच रहा हूं देख के जलते रावण को, रावण को क्यों जला रहे हैं रावण ही तथा लोग लेकर आए थे ताज़ा गजल, हमने अपना जख्म ताजा रख दिया प्रस्तुत की। डॉ. मधुमुकुल चतुर्वेदी ने कुछ दोहे प्रस्तुत करते हुए कहा सुबह शाम आकर करें, मुझे हिचकियां तंग। याद दिलाने का अजी ! यह है कैसा ढंग ? तथा हर हिचकी पर जान है, जाने को तैयार। अटकी है बस सांस यूं कब होंगे दीदार।।
अंत में कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने अपनी रचनाएं सुनाई-
लहजे में जितनी मजबूती, सोच में उतने कच्चे हैं।
नये दौर के चाल- चलन के, शायर कितने अच्छे हैं।।,
कभी खिलौने बेचने वाला, आता है जब बस्ती में।
देख पिता की आंख में आंसू,चुप हो जाते बच्चे हैं।। तथा
कोई न मार पाएगा ये काम कर लिया,
रावण ने अपना नाम श्री राम धर लिया। प्रस्तुत की।
देर शाम तक चले इस कवि सम्मेलन को हजारों लोगों ने देश और विदेश से अंत तक धैर्यपूर्वक सुना और आनंद लिया।