अखिल भारतीय सर्वभाषा संस्कृति समन्वय समिति के प्रतिष्ठित वैश्विक पटल पर सवाई माधोपुर से कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। पटल के समन्वयक, संस्था के वैश्विक अध्यक्ष तथा प्रख्यात साहित्यकार एवं पत्रकार प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव की अध्यक्षता में आयोजित इस कवि सम्मेलन का संचालन प्रख्यात साहित्यकार एवं शिक्षाविद डॉ. मधुमुकुल चतुर्वेदी ने किया।
कवि सम्मेलन में नोएडा से इस संस्था के वैश्विक अध्यक्ष, प्रख्यात साहित्यकार एवं पत्रकार प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव, नैरोबी ,केन्या, दक्षिण अफ्रीका से प्रख्यात साहित्यकारा सारिका फलोर, कुवैत से प्रख्यात कवियत्री संगीता चौबे ‘पंखुड़ी’, कानपुर से प्रख्यात साहित्यकारा डॉ. रश्मि कुलश्रेष्ठ ‘रश्मि’, हथुआ, गोपालगंज बिहार से प्रख्यात साहित्यकारा डॉ. नीलम श्रीवास्तव और सवाईमाधोपुर से डॉ. मधुमुकुल चतुर्वेदी शामिल हुए। डाॅ. रश्मि कुलश्रेष्ठ ‘रश्मि’ ने कविता जब से बदला फूल ने, अपना मृदु व्यवहार। तब से ही बनने लगे, शूलों के गलहार। प्रस्तुत की।
संगीता चौबे पंखुड़ी ने कविता नेह का संबल लिए प्रिय, प्रीत का श्रृंगार तुम। भावनाओं का हृदय में, इक उमड़ता ज्वार तुम। प्रस्तुत की। डॉ. नीलम श्रीवास्तव ने कविता हकीकत से नहीं हम दिल की नादानी से डरते हैं, नहीं दुश्वारियों का खौफ आसानी से डरते हैं, किसी की बेवजह की हर मेहरबानी से डरते हैं, अदावत से नहीं साहिब निगेहबानी से डरते हैं। प्रस्तुत की। सारिका फलोर ने कविता रात आई ओढ़ चूनर आज तारों की। दो दिलों में खिल रही कलियां बहारों की। प्रस्तुत की। डॉ. मधु मुकुल चतुर्वेदी ने कविता दीवानों से मत पूछो, क्यों दीवाने कहलाते हैं, औरों को खुश करने को अपना दर्द छुपाते हैं। प्रस्तुत की।
प्रज्ञान पुरुष पंडित सुरेश नीरव ने कविता हुजूम यादों के कितने तू संग ले आई, हैं कितनी चाहतें तुझमें बता ऐ तनहाई।महकते फूलों में शौहरत घुली है मौसम की, वफ़ा में इश्क को कहते हैं लोग रुसवाई। प्रस्तुत की। देर शाम तक चले इस कवि सम्मेलन को स्वदेश एवं अन्य देशों से असंख्य श्रोताओं ने देखा सुना और सराहा।