इन दिनों मौसम में परिवर्तन के साथ ही देश के अन्य प्रदेशों के साथ ही राज्य में भी कोरोना के केस बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। इन दिनों सर्दी के बढ़ने के बाद मौसमी बीमारियों में अचानक वृद्धि होती दिखाई दे रही है। इस बीच सर्दी खाँसी के बढ़ते हुए मामलों के बीच कोरोना के केस भी सामने आ रहे हैं।
कोरोना के केस बढ़ने का कारण आमजन की लापरवाही भी कहीं न कहीं नजर आ रही है। बाजारों में भीड़ देखकर ऐसा लगता है मानो कोरोना नाम की बीमारी समाप्त हो चुकी है। लेकिन सरकार द्वारा भी कोरोना एडवायजरी की पालना के प्रति जागरूकता बढ़ाने के प्रयास भी नजर नहीं आ रहे हैं।
जहाँ एक ओर त्यौहारों पर बाजारों में बढ़ती भीड़ कोरोना के प्रसार का कारण रही। वहीं अब पंचायत समितियों, जिला परिषद एवं नगर निकायों के चुनावों की घोषणा के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग की पालना होती दिखाई नहीं दे रही है। राजनीतिक पार्टियों के लोग चुनावी चर्चाओं में एक साथ एकत्रित हो रहे हैं। जहाँ सोशल डिस्टेंसिंग अथवा कोरोना एडवायजरी की पालना संभव नजर नहीं आती।
यातायात के सीमित साधनों के कारण सार्वजनिक सेवाओं में यात्रियों का भार बढ़ता दिखाई दे रहा है। बढ़ते यातायात साधनों में भी सोशियल डिस्टेंसिंग की पालना करना कठिन हो रहा है।
ट्रेनों की सीमित संख्या एवं रिजर्वेशन की परेशानी के कारण इन दिनों रोड़वेज की बसों पर लोगों की निर्भरता बढ़ रही है। लेकिन रोड़वेज प्रशासन द्वारा भी बसों की कमी के कारण यात्रियों का दबाव बढ़ रही है। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बावजूद परिवहन निगम सबक लेने को तैयार नहीं है। आने वाले दिनों में परिवहन निगम की लापरवाही बहुत महंगी पड़ सकती है। यदि राजस्थान रोड़वेज द्वारा अधिक यात्रीभार वाले मार्गों पर बसों की संख्या बढ़ाई जाये तो यात्रियों को सुविधा मिल सकती है, वहीं कोरोना एडवायजरी का पालन भी हो सकेगा।