आईएएस गिरधर और आईपीएस सुशील कुमार विश्नोई के निलंबन से युवा अधिकारी लें सबक
राजस्थान के प्रशासनिक इतिहास में यह पहला अवसर होगा जब गुंडागर्दी करने के आरोप में आईएएस गिरधर और आईपीएस सुशील कुमार विश्नोई को सस्पेंड किया गया है। इन दोनों अधिकारियों पर आरोप है कि गत 11 जून की रात 2 बजे अजमेर के पास गेगल हाईवे पर स्थित मकराना राज होटल पर गुंडागर्दी की। दोनों अधिकारियों के गुंडों के साथ खड़े होने वाले सीसीटीवी फुटेज भी जमकर वायरल हुए हैं। प्रशासनिक सेवा में आईएएस और आईपीएस के पद सबसे बड़े माने जाते हैं। यदि इस स्तर के अधिकारी होटल पर सरेआम गुंडागर्दी करेंगे तो पब्लिक में फिर क्या मैसेज जाएगा? इन दोनों अधिकारियों की हरकतों से इनकी चयन प्रक्रिया पर भी सवाल उठते हैं। यदि इन दोनों अधिकारियों ने अपनी मेहनत से परीक्षा में सफलता पाई होती तो रात 2 बजे इस तरह अपराध में शामिल नहीं होते।
11 जून को दोनों अधिकारी ड्यूटी पर नहीं थे। गिरधर अजमेर विकास प्राधिकरण के पद पर तथा सुशील कुमार विश्नोई नवगठित जिले गंगापुर सिटी के विशेष अधिकारी हैं। बिश्नोई अजमेर के एएसपी पद से स्थानांतरित होकर ही गंगापुर सिटी गए थे। स्थानांतरण पर ही कुछ लोगों ने अजमेर शहर की एक होटल में विदाई पार्टी की थी। इस पार्टी में आईएएस गिरधर भी शामिल हुए, रात 12 बजे तक चली पार्टी के बाद इधर-उधर घूमते हुए दोनों अधिकारी अपने दोस्तों के साथ 2 बजे गेगल की होटल पर पहुंचे और फिर होटल कर्मियों के साथ मारपीट की। हो सकता है कि इस मारपीट में अधिकारियों को भी होटल कर्मियों से थप्पड़ खाने पड़े हो।
थप्पड़ खाने की बात को तब बल मिलता है, जब थोड़ी ही देर बाद गेगल पुलिस मौके पर आई और होटल कर्मियों को एक कमरे में बंद कर बुरी तरह पीटा। होटल कर्मियों की पिटाई के समय भी दोनों अधिकारी मौके पर ही मौजूद थे। जब दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है, तब यह सवाल उठता है कि क्या इन अधिकारियों का यह कृत्य उचित है? इस घटना से प्रशासनिक क्षेत्र के युवा अधिकारियों को सबक लेना चाहिए।
सरकारी नौकरी आम जनता की सेवा करने के लिए होती है, लेकिन चयनित अधिकारी रात 2 बजे गुंडागर्दी करेंगे तो फिर आम जनता का क्या होगा? यह माना कि आईएएस और आईपीएस बनने के बाद बहुत पावर मिल जाती है, लेकिन इस पावर का इस्तेमाल लोगों की भलाई के लिए होना चाहिए। निलंबित आईपीएस और आईएएस 2019 बैच के हैं, यानी मात्र 4 वर्ष पुराने। यदि 4 साल की सेवा वाले अधिकारी सड़कों पर गुंडागर्दी करेंगे तो प्रशासनिक तंत्र का क्या होगा?
हालांकि होटल में गुंडों की तरह मारपीट करने के बाद एक आईएएस गिरधर और आईपीएस सुशील बिश्नोई को निलम्बित कर दिया गया हैं। लेकिन इनकी करतूतों ने न केवल पुलिस बेड़े को धूमिल किया है बल्कि यूपीएससी की चयन प्रक्रिया, प्रशासनिक अकादमियों के प्रशिक्षण कौशल और सरकारी कार्मिकों की निष्ठाओं को सवालों के घेरे में ला दिया है। आपको जानकर हैरत होगी कि इनमें से सुशील बिश्नोई पर तो अपनी ही पत्नी से दुष्कर्म और फिर सगाई तोड़ देने का भी आरोप लग चुका है।
आरोप यह भी लगा कि सगाई के लिए आठ लाख रुपए और चालीस ग्राम सोना भी लिया गया। वहीं सुशील पर बिहार की एक अन्य युवती ने भी दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था। ऐसे में चिंता जगती है कि नव चयनित होकर आए ऐसे आईपीएस या आईएएस क्या न्याय दिला पाएंगे। इस अफसर की 2022 में जोधपुर के एक व्यवसायी की पुत्री से शादी हो चुकी है।बीकानेर के रहने वाले आईपीएस अधिकारी सुशील कुमार को गंगापुर सिटी नए जिले में विशेषाधिकारी तैनात किया गया था। इससे पहले वे अजमेर में ही तैनात थे। वहीं नागौर के रहने वाले गिरधर अजमेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त थे। (एसपी मित्तल, ब्लॉगर)