पेपर लीक मामले में एसओजी के हत्थे चढ़े शिक्षक राजेन्द्र यादव ने अपने कई परिचितों को सरकारी नौकरी में लाने के लिए प्रतियोगी परीक्षा से पहले पेपर पढ़ाया। सूत्रों के अनुसार एसओजी की पड़ताल और आरोपी से पूछताछ में सामने आया है कि उसने अपनी पुत्रवधु को भी फस्ट ग्रेड टीचर का पेपर परीक्षा से पहले पढ़ा दिया था। पुत्रवधु का परीक्षा में चयन भी हो गया था और चित्तौड़गढ़ में उसकी नौकरी लगी। गत सरकार में आरोपी ने राजनीति पहुंच के चलते पुत्रवधु का तबादला जयपुर करवा लिया था। कुछ लोगों का कहना है कि शिक्षक राजेन्द्र ने अपने बेटे की शादी की और बहू को पहली बार घर लाया था, तब सोने के जेवरों से लाद रखा था। बहू को इतना सोना पहना देखकर सब दंग रह गए थे। एसओजी को अब तक आरोपी के पास मिली सम्पत्ति के अलावा आधा दर्जन और प्लॉटों की जानकारी मिली है। जिनकी तस्दीक की जा रही है।
आरोपी 9 निजी स्कूलों पर जमाता था रौब
एसओजी सूत्रों के अनुसार आरोपी शिक्षक राजेन्द्र यादव शहीद मेजर दिग्विजय सिंह सुमाल राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय खातीपुरा में शिक्षक पद पर पदस्थ है। आरोपी का स्कूल क्षेत्र का नॉडल स्कूल है और यहां से अन्य 9 निजी स्कूलों में भी प्रतियोगी परीक्षाओं व बोर्ड की अन्य परीक्षाओं के पेपर जाते थे। आरोपी राजेन्द्र वर्ष 2011 से स्कूल में सहायक परीक्षा प्रभारी रहा है और वर्तमान में प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर खुद की निगरानी में रखवाता था।
आरोपी शुरुआत में परीक्षा में अभ्यर्थियों की नकल करवाकर मदद करता था
लेकिन वर्ष 2015 से पेपर लीक गिरोह से जुड़ गया था। एसओजी शिक्षक राजेन्द्र यादव और पटवारी हर्षवर्धन के जरिए पेपर लीक के जरिए नौकरी में आने वालों की भी सूची बना रही है। दोनों ने करीब साढ़े पांच सौ से छह सौ लोगों को सरकारी नौकरी में लगवाया है। इनमें पटवारी हर्षवर्धन के अधिकांश मामले हैं।