आज जब कोरोना महामारी संपूर्ण विश्व को अपनी चपेट में ले चुका है और लॉकडाउन तथा सोशल डिस्टेंसिंग की बात हो रही है। ऐसी स्थिति में डिजिटल बैंकिंग की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
संजय कुमार, मुख्य प्रबंधक, स्टेट बैंक ज्ञानार्जन एवं विकाश संस्थान, अजमेर ने बताया है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री जनधन खातों में करोडों लाभार्थियों एवं किसानों को प्रत्यक्ष लाभ अंतरण या डीबीटी के तहत उनके खातों में पैसे जमा किए जा रहे हैं। लाभार्थी उन पैसों की निकासी के लिए बैंकों की ओर रुख कर रहे हैं। इसके अलावा बैंकों से जुड़े ग्राहक भी अपनी जरूरतों के लिए बैंक की शाखाओं में आ रहे हैं, जिससे कोरोनावायरस के संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ने की संभावना है। इस विषम परिस्थितियों में डिजिटल बैंकिंग काफी कारगर साबित हो सकता है। यही कारण है कि आरबीआई, आईबीए और बैंक लोगों से डिजिटल बैंकिंग अपनाने की अपील कर रहे है। पूर्व में नोटबंदी के समय भी डिजिटल बैंकिंग को काफी बढ़ावा मिला था।
आज के बदलते परिवेश में बैंकिंग में नित नए बदलाव हो रहे हैं। बैंकिंग पेपर से पेपरलेस हो रही है। आज के बैंकिंग को नए नामों से जाना जाने लगा है जैसे ग्रीन बैंकिंग, इंटरनेट बैंकिंग, डिजिटल बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, कियोस्क बैंकिंग आदि। परंपरागत बैंकिंग ने डिजिटल बैंकिंग का रूप लेना प्रारंभ कर दिया है। कंप्यूटर के अविष्कार से एक नए युग की शुरुआत हुई एवं स्मार्टफोन ने इसे एक नए आयाम पर पहुंचाया है। अब इस मुकाम को डिजिटल भारत कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। जहां परंपरागत बैंकिंग में ग्राहकों को शाखा में जाकर अपनी जरूरतें पूरी करनी होती थी वही डिजिटल बैंकिंग द्वारा देश के किसी भी भाग से पूरी की जा सकती है। शाखा बैंकिंग में परिचालन की उच्च लागत होती है एवं अधिक कर्मचारियों की जरूरत होती है और ग्राहकों के लिए एक तय समय होती है, जबकि डिजिटल बैंकिंग में परिचालन की लागत कम होती है एवं अधिक कर्मचारी की जरूरत भी नहीं होती और ग्राहकों को सप्ताह के सातों दिन चौबीस घंटे की बैंकिंग की सुविधा होती है। सरकार भी डिजिटल लेन-देन पर विशेष जोर दे रही है। यही कारण है कि समस्त वित्तीय संस्थाएं एवं बैंक डिजिटल बैंकिंग का प्रचार-प्रसार जोर शोर से कर रहे है तथा ग्राहकों को अधिक से अधिक सुविधाएं एवं उत्तम सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। आज मोबाइल बैंकिंग एप, इंटरनेट बैंकिंग एप, यूपीआई आदि द्वारा बैंकिंग की जा रही है। देश की प्रगति एवं भारतीय अर्थव्यवस्था को कैशलेस बनाने में डिजिटल बैंकिंग का योगदान महत्वपुर्ण है।
संजय कुमार ने बताया कि डिजिटल बैंकिंग में शाखा पर जाने की आवश्यकता नहीं होती वहीं प्रतिदिन सुविधाएं प्राप्त होती है। डिजिटल बैंकिंग की मदद से ग्राहक अपने खातों का बैलेंस, ट्रांजैक्शन एवं मुद्रा स्थानांतरण बिना बैंक शाखा की सहायता से कर सकते हैं। इससे ग्राहकों का अमूल्य समय व संसाधनएवं पैसे की बचत होती है और परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है। कैश निकासी के लिए एटीएम और कैश जमा करने हेतु सीडीएम मशीन द्वारा सुविधा प्रदान की जाती है। मोबाइल बैंकिंग एप, नेट बैंकिंग द्वारा चुनिंदा ग्राहक अपने बैंक से ऋण की सुविधा भी प्राप्त कर सकते हैं।
डिजिटल बैंकिंग द्वारा समस्त यूटिलिटी बिल जैसे बिजली, पानी, टेलीफोन, इंश्योरेंस किस्तों का भुगतान, म्यूचुअल फंड में निवेश आदि की जा सकती है।
संजय कुमार ने बताया कि इतनी सारी सुविधाएं होने के बाद भी एवं तकरीबन सभी के पास स्मार्टफोन एवं इंटरनेट की सुविधा होने के बावजूद भी भारत में केवल 30 प्रतिशत ग्राहक डिजिटल बैंकिंग का उपयोग कर रहे है। इसका मुख्य कारण यह है कि ठगी की समस्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और लोगों में जागरूकता की कमी है। डिजिटल बैंकिंग के विषय में ग्राहकों को शिक्षित और जागरूक बनाने की जरूरत है।
उन्होंने बताया कि डिजीटल बैंकिग में कुछ सावधानियां भी रखनी चाहिए। इंटरनेट हैकर्स डुप्लीकेट वेब पेज अथवा ईमेल के जरिए ग्राहक की नीति एवं गोपनीय सूचनाएं प्राप्त कर लेते हैं जैसे खाता नंबर पासवर्ड मोबाइल नंबर आदि ऐसे ईमेल वह जाली वेब पेज से हमेशा सतर्क रहना चाहिए एवं फर्जी लिंक को क्लिक नहीं करना चाहिए। नेट बैंकिंग का प्रयोग करते समय किसी भी संदिग्ध या आकर्षक लिंक पर नहीं जाना चाहिए ना ही उनकी अनुपालना करनी चाहिए। नियत अंतराल पर अपने एटीएम कार्ड, नेट बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड, मोबाइल बैंकिंग के पासवर्ड बदलते रहना चाहिए और पासवर्ड का चुनाव भी लंबा व जटिल अंकों से मिलकर बना हुआ होना चाहिए जिसे हैकर्स उसे हैक ना कर सके। नेट कैफे, असुरक्षित एवं सार्वजनिक वाईफाई का प्रयोग नेट बैंकिंग के लिए नहीं करना चाहिए। इसकी जगह अपने मोबाइल या निजी कंप्यूटर या लैपटॉप का प्रयोग करना चाहिए। अपने पासवर्ड को डायरी, मोबाइल, लैपटॉप अथवा ईमेल में सुरक्षित बिल्कुल नहीं करना चाहिए और गुप्त जानकारी किसी भी हालत में साझा नहीं करना चाहिए। ग्राहक नेट बैंकिंग का इस्तेमाल करते समय वर्चुअल की-बोर्ड का उपयोग करें जिससे किसी भी सॉफ्टवेयर द्वारा अंकित किया गया यूजर आईडी और पासवर्ड की चोरी कर पाना संभव नहीं होगा। वर्चुअल कीबोर्ड सभी बैंकों की साइट पर उपलब्ध होता है। हमेशा सिक्योर्ड साइट एवं वेबसाइट के यूआरएल के लिंक को ही अपना यूजरनेम वह पासवर्ड डालें। नियत अंतराल पर अपने बैंक खाते की जांच करते रहना चाहिए। किसी भी अवांछित ट्रांजैक्शन पाए जाने पर तुरंत ग्राहक सेवा संख्या पर बात करनी चाहिए एवं शाखा को भी अवगत कराना चाहिए। एसएमएस की सुविधा बैंक से लेना चाहिए जिससे समस्त लेनदेन की जानकारी संदेश के जरिए प्राप्त हो सके। नेट बैंकिंग का कार्य संपन्न होने के बाद लॉग आउट करना नहीं भूलना चाहिए।
उन्होंने बताया कि इन कदमों का प्रयोग कर हम डिजिटल बैंकिंग को सुरक्षित एवं सुविधाजनक बना सकते हैं और आराम पूर्वक डिजिटल बैंकिंग के मजे ले सकते हैं। धोखेबाजों द्वारा फर्जी कॉल कर अपने आप को बैंक के प्रतिनिधि बताते हुए ग्राहकों को मदद करने का दिखावा देते हैं और ग्राहक का विश्वास हासिल करते हुए उनसे बैंकिंग संबंधित जानकारी लेकर उन्हें ठगी का शिकार बना लेते हैं। अतः ऐसे फर्जी फोन कॉल से सावधान रहना चाहिए तथा अपने किसी भी जानकारी को साझा नहीं करना चाहिए। आज के तकनीकी युग में सावधानी ही सुरक्षा है। सतर्क और जागरूक रह कर हम धोखाधड़ी से बच सकते हैं।
नोट:- समाचार के लिए फोटो भेजा है। 2