अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य (ग्रुप-2) विभाग के राजस्थान जयपुर के आदेशानुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा संयुक्त राष्ट्र द्वारा कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण को पेनडेमिक घोषित करने के परिपेक्ष्य में कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण से बचाव एवं रोकथाम के लिए तथा आमजन को आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के संबंध में व्यापक लोकहित में राज्य सरकार द्वारा सभी सम्भव प्रयास निरन्तर किये जा रहे हैं।
जिला कलेक्टर नन्नूमल पहाड़िया ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के निर्देशों के अनुसार जिले के सभी निजी चिकित्सालयों को निर्देशित किया कि वे अपनी ओपीडी/आईपीडी/आपातकालीन सेवाएं सुचारू रूप से संचालित करते हुए उनके चिकित्सा संस्थानों में आने वाले मरीजों को समस्त आवश्यक चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध करायें, जिससे आमजन को किसी परेशानी का सामना न करना पड़े।
उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार हेतु कुछ चेरिटेबल ट्रस्ट एवं निजी संस्थानों को चिकित्सा संस्थानों की स्थापना एवं संचालन हेतु विभिन्न प्रकार की रियायतें व सुविधाऐं प्रदान की गई है। राज्य सरकार के संज्ञान में आया है कि इनमें से कुछ निजी चिकित्सालयों द्वारा उनके अस्पताल में उपचार हेतु आने वाले कोविड-19 व अन्य गम्भीर बीमारियों के मरीजों के उपचार से बचने के प्रयास कर उन्हें सरकारी व अन्य अस्पतालों में जाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है, जो वैश्विक महामारी के इस गम्भीर दौर में अमानवीय होने के साथ-साथ अपने व्यवसायिक, सामाजिक, मानवीय एवं नैतिक दायित्वों से विमुख होना है तथा इसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी गम्भीरता से लिया हैं।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय की भावना के अनुरूप कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण से बचाव एवं रोकथाम हेतु तथा आमजन को आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के संबंध में व्यापक लोकहित में ऐसे सभी चेरिटेबल ट्रस्ट एवं निजी संस्थान जिन्हें चिकित्सा संस्थानों की स्थापना एवं संचालन हेतु राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की रियायतें व सुविधाऐं प्रदान की गई है व ऐसे निजी चिकित्सालय जिन्हें कोविड-19 के उपचार हेतु चिन्हित/अधिकृत/अनुमत किया गया है, को निर्देशित किया कि वे अपने चिकित्सा संस्थानों में आने वाले कोविड-19 के मरीजों का अपने सामाजिक एवं नैतिक दायित्वों के अधीन समुचित निःशुल्क उपचार करें तथा उन्हें अन्य किसी चिकित्सालय में जाने के लिए बाध्य/प्रेरित न करें।