कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा एक बार फिर से करनाल से शुरू हो गई है। राहुल गांधी ने करनाल से कुरुक्षेत्र के लिए सुबह करीब सात बजे यात्रा शुरू कर दी। राहुल गांधी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि यात्रा कन्याकुमारी से हरियाणा तक पहुंची है और बहुत कुछ सीखने को मिला। बहुत लोगों से हम मिले और देश के दिल में जो है, वो डायरेक्टली सुनने को मिला है, हम सबको। हरियाणा में आपका रेस्पांस देखा, बहुत अच्छा रेस्पांस है। एनर्जेटिक, एंथुसियास्टिक रेस्पांस है। शुरुआत की थी, तो लोगों ने कहा कि देखिए, केरल में जो रेस्पांस मिलेगा, जो केरल में रेस्पांस मिला, वो कर्नाटक में नहीं मिलेगा, बीजेपी के स्टेट में नहीं मिलेगा। पता लगा कर्नाटक में केरल से भी बेहतर रिस्पोंस। फिर कहा कि भाई, साउथ में मिला है, अब जब हम महाराष्ट्र में पहुंचेंगे, तो रेस्पांस नहीं होगा, महाराष्ट्र में साउथ से भी अच्छा और फिर जब हिंदी बेल्ट में जा रहे थे, फिर कहते हैं कि हिंदी बेल्ट में तो बिल्कुल नहीं होगा, महाराष्ट्र में रेस्पांस बहुत अच्छा है, पर हिंदी बेल्ट में नहीं होगा। मध्यप्रदेश में देखा तो और भी इम्प्रूवमेंट और फिर जब हम हरियाणा में आ रहे थे, कहने लगे- नहीं, बीजेपी की सरकार है, वो रेस्पांस नहीं मिलेगा और भी इम्प्रूवमेंट।
मतलब जहां हम जितना आगे बढ़ते जा रहे हैं, रेस्पांस इम्प्रूव करता जा रहा है। तो मैं हरियाणा के युवाओं से, हरियाणा की जनता से, माताओं, बहनों से दिल से धन्यवाद करना चाहता हूं कि आपने इतना प्यार किया, आपने इतनी शक्ति दी। इसके लिए हम बहुत-बहुत आभारी हैं। यहाँ पर लोगों ने, किसानों ने हमें हरियाणा की सच्चाई बताई। सड़कों पर हम चलें हैं, वो भी हमने देखा, तो रियलिटी हमारे और आपके सामने है। अब आप जो भी सवाल पूछना चाहते हैं, पूछ सकते हैं। एक प्रश्न पर कि ये एक जन आंदोलन है या राजनीतिक यात्रा है, इस यात्रा के बाद आपका लक्ष्य क्या होगा? श्री गांधी ने कहा कि ये जो यात्रा है, जो हिंदुस्तान की आवाज को दबाया जा रहा है और जो हिंदुस्तान में डर फैलाया जा रहा है, हिंदुस्तान को जो बांटा जा रहा है, एक जाति को दूसरी जाति से, एक धर्म दूसरे धर्म से जो लड़ाया जा रहा है, उसके खिलाफ ये यात्रा है। इस यात्रा का एक और लक्ष्य है और मेरा पर्सनल लक्ष्य है और जो हमारे साथ लोग चल रहे हैं, उनका भी लक्ष्य है कि हम इस यात्रा को तपस्या जैसे देख रहे हैं। हम अपने देश से प्यार करते हैं, देश की जनता से प्यार करते हैं, किसानों से, गरीब लोगों से प्यार करते हैं और उनके साथ हम चलना चाहते हैं। तो यात्रा का लक्ष्य पर्सनल है, यात्रा का लक्ष्य देश की जनता को देश की सच्ची आवाज सुनाने का है।
अब देखिए, उससे राजनीतिक फायदा हो, नुकसान हो, उसके बारे में मैं नहीं कह सकता हूं, मगर यात्रा का लक्ष्य अवेयरनेस का है और जो मुख्य तीन बातें हैं, जो हम सब जगह कहते हैं – भारत जोड़ो, डर के खिलाफ खड़े हो, नफरत मत करो, ये एक मुद्दा है। दूसरा मुद्दा, जो हिंदुस्तान में इकोनॉमिक इनइक्वैलिटी हो रही है, जो सारा का सारा धन, मीडिया, दूसरे इंस्टीट्यूशन्स, दो, तीन, चार लोगों के हाथ में है इसके खिलाफ और उसके जो नतीजे हैं, भयंकर जो अनएम्प्लॉयमेंट हो रहा है, तेजी से जो महंगाई बढ़ रही है, उसके खिलाफ ये यात्रा है और लोगों को ये मालूम है कि हिंदुस्तान में बेरोजगारी बढ़ रही है, तो उसका कारण है कि पूरा का पूरा धन तीन, चार, पांच लोगों के हाथ में है, सबको मालूम है। लोगों को ये भी मालूम है कि जो धन का कंसन्ट्रेशन हो रहा है, पूरी की पूरी आर्थिक शक्ति तीन, चार लोगों के हाथ में जा रही है, उसका नतीजा बेरोजगारी है, उसका नतीजा महंगाई है, लोगों को कनेक्शन मालूम है। तो हम ये बात रखना चाहते हैं और बहुत सक्सेसफुली ये बात यात्रा ने रखी है।
इसलिए मैं कह रहा हूं कि जहाँ भी हम जा रहे हैं, यात्रा इम्प्रूव हो रही है। तो अब ये हमारा लक्ष्य था। देखिए, जब अर्जुन मछली की आंख में तीर मार रहा था, तो उसने आपसे कहा, उनसे कहा कि आंख में तीर मारने के बाद मैं क्या करुंगा, कहा था क्या- नहीं कहा था। उस कहानी का मतलब है, वो गीता में भी है। तुम काम करो, जो होना है, होगा। ध्यान काम पर रखो। तो वही थिंकिंग है यात्रा की भी। आपका सवाल अच्छा है, यात्रा के बाद एक और काम होगा, उसके बाद शायद एक और काम होगा, फिर आपको जवाब मिल जाएगा। एक अन्य प्रश्न पर कि आगामी विधानसभा चुनावों में हरियाणा में सीएम का चेहरा कौन होगा? श्री गांधी ने कहा कि देखिए, मैंने प्रेस वार्ता में तीन, चार बार कहा है कि हमारा लक्ष्य यात्रा का है और आप लोग डाइवर्ट करने की कोशिश करते हैं। पता नहीं, आप यात्रा को दिखाते ही नहीं हैं, आपको कहा गया है कि भाई, यात्रा को दिखाओ मत।
सोशल मीडिया में मतलब बवाल मचा हुआ है, तूफान आया हुआ है, मगर नेशनल मीडिया में कुछ नहीं दिखाया जाता है और फिर आप प्रेस वार्ता में आते हैं, कहते हैं, चलो भाई एक डिस्ट्रैक्शन मारते हैं। सीएम कौन होगा, पीएम कौन होगा, अगला सवाल होगा पीएम कौन होगा, देख लेना। आएगा, पक्का आएगा, डिस्ट्रैक्ट करना है, सीएम कौन होगा, पीएम कौन होगा, फिर उसके बाद आएगा सवाल अपोजिशन यूनिटी नहीं है, वो भी आएगा। तो आप करिए जो आपको करना है, मुझे भी करना है काम। एक अन्य प्रश्न पर कि आपने कहा कि अब लड़ाई तपस्या की है, राजनीतिक नहीं, तो क्या आप अब तपस्वी हो गए हैं? गांधी ने कहा कि मैं तपस्वी था, अब भी तपस्वी हूँ। ये देश तपस्वियों का देश है। जैसे लोगों ने कहा कि देखो राहुल गांधी कितने किलोमीटर चल लिया।
आप लोग ये क्यों नहीं कहते कि किसान कितने किलोमीटर चलता है? हिंदुस्तान का कोई भी किसान नहीं है, जो मुझसे कम चला हो। एक नहीं है। हिंदुस्तान का ऐसा एक मजदूर नहीं मिलेगा आपको, जो मुझसे कम चला है। हम ये क्यों नहीं कहते कि देखो-देखो मजदूर कितने किलोमीटर चला है? क्योंकि हम तपस्या की रेस्पेक्ट नहीं करते हैं। मैं करता हूँ। तो ये चेंज लाना है और ये देश तपस्वियों का है, ये देश पुजारियों का नहीं है, रियलिटी ये है और जैसे मैंने कहा कि इस देश को सुपर पावर बनना है, जैसा कि आप कहते रहते हो, तो तपस्वी की रेस्पेक्ट करनी पड़ेगी, उत्पादक की रेस्पेक्ट करनी पड़ेगी। उससे गले मिलना पड़ेगा, बैंक के दरवाजे उसके लिए खोलने पड़ेंगे, उसकी प्रोटेक्शन करनी पड़ेगी।