चूहों का आतंक सिर्फ घरों में ही नहीं सार्वजनिक स्थानों से लेकर सरकारी कार्यालयों तक देखने को मिल रहा है। हर उस जगह पर चूहों का प्रकोप देखने को मिलता है, जहां इंसान रहते है। जिससे चूहों की चहल कदमी और उनकी शरारत से होने वाले नुकसान से बचने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते है। इससे जुड़े आप को टीवी पर तमाम विज्ञापन भी देखने को मिल जाएंगे। जिसमें कम खर्च करके चूहों को पकड़ने के लिए तमाम प्रोडक्ट दिख जाएंगे।
लेकिन इन दिनों चूहों से ही जुड़ा एक हैरान करने वाला मामला देश में सुर्खियों में है। यह मामला उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल से संबंधित है. आप अंदाजा लगाइये अगर 168 चूहों को पकड़ना हो तो कितने रूपये खर्च होंगे। दिमाग में हजारों या फिर बहुत ज्यादा तो 1 लाख तक की रकम चल रही होगी। लेकिन यहां आप गलत हैं। दरअसल, उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल ने एक चूहे को पकड़ने में 41 हजार रुपये खर्च कर दिये है। बता दें कि लखनऊ मंडल रेलवे ने चूहों को पकड़ने के लिए 69 लाख रुपये खर्च किए हैं।
यह जानकर आप और हैरान हो जाएंगे कि 69 लाख की बड़ी रकम खर्च करके रेलवे ने महज 168 चूहों को ही पकड़ा। आरटीई में हुए खुलासे के मुताबित यह रकम पिछले तीन सालों में खर्च की गई। यानी प्रति वर्ष उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल ने चूहों को पकड़ने पर 23.2 लाख रुपये खर्च किए। जिसको लेकर तमाम चर्चाएं हो रही हैं। दरअसल, नीमच के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने चूहा पकड़ने के लिए रेलवे द्वारा खर्च की गई धनराशि की जानकारी सूचना के अधिकार के तहत मांगी थी।
जिसमें यह बड़ी जानकारी सामने आई। उत्तर रेलवे में 5 मंडल हैं। इनमे दिल्ली, अंबाला, लखनऊ, फिरोजपुर और मुरादाबाद। इन सभी मंडलों ने चूहा पकड़ने पर हुए खर्च की जानकारी दी। इसी क्रम में रेलवे के लखनऊ मंडल ने भी यह जानकारी दी। हालांकि लखनऊ मंडल रेलवे के पास इस यह जानकारी स्पष्ट रूप से उपलब्ध नहीं है कि चूहों की वजह से कितना नुकसान हुआ। लेकिन 69 लाख रुपये खर्च कर महज 168 चूहों को पकड़ने वाली रेलवे की बात पर लोग तरह-तरह की चर्चा कर रहे हैं। जो सुर्खियों में है।