Friday , 5 July 2024
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ईआरसीपी मामले पर मुख्यमंत्री गहलोत से खुली चर्चा के लिए तैयार – गजेंद्र सिंह शेखावत

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री बोले, सवाई माधोपुर समेत 10 जिलो के साथ पाप कर रहे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

एक दिवसीय दौरे पर सवाई माधोपुर आए केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने ईआरसीपी मामले पर कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जनता को गुमराह कर रहे हैं। शेखावत ने बताया कि अशोक गहलोत सरकार के अपने ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ईआरसीपी) में केवल तीन शहरों जयपुर, अजमेर और टोंक को पीने का पानी मिलेगा, जो अन्य 10 जिलों के साथ पाप है। यदि गहलोत सरकार देश के तय मानकों के अनुसार 75 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी पर पुरानी ईआरसीपी को संशोधित करती तो पूर्वी राजस्थान के सभी 13 जिलों को न केवल पीने का पानी मिलता, बल्कि सिंचाई की जरूरतें भी पूरी होती। शेखावत ने कहा कि वर्ष 2004 से पहले केन्द्र की अटल बिहारी सरकार ने नदी जोड़ने की परियोजना बनाई थी। देश के 31 लिंक्स में से एक पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच चिह्नित हुआ था।

 

लेकिन राजस्थान की असहमति के कारण से उस लिंक को उसी समय स्थगित कर दिया गया था। वर्ष 2016 में वसुंधरा की सरकार ने ईआरसीपी की परिकल्पना की और वर्ष 2017 में वाप्कोस एजेंसी को डिजाइन बनाने के लिए दिया। देश के तय मानक 75 प्रतिशत के बजाय इसे 50 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी पर बनाया, जिसे स्वीकृति नहीं मिली। इसे सही किया जाता, उससे पहले वसुंधरा की सरकार बदल गई। शेखावत ने बताया कि भारत सरकार के वर्ष 1960 से नियम तय हैं कि अंतरराज्यीय नदियों को लेकर परियोजना 75 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी से कम पर नहीं बनाई जा सकती। कम से कम 4 साल में से 3 साल बांधों में पानी रहना चाहिए। राष्ट्रीय परियोजना के लिए 75 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी के अलावा 2 लाख हेक्टेयर का नया सिंचाई रकबा सृजित होना चाहिए। शेखावत ने कहा कि अशोक गहलोत ने वर्ष 2019 में मध्य प्रदेश में जब कांग्रेस की सरकार थी, तब मुख्यमंत्री कमलनाथ को चिट्ठी लिखकर 50 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी पर सहमति के लिए कहा था, लेकिन कमलनाथ ने स्पष्ट रूप से इंकार कर दिया।

 

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ईआरसीपी को लेकर हमने दस बार मीटिंग रखी, लेकिन राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री या मंत्री किसी बैठक में उपस्थित नहीं हुए। उन्होने मुख्यमंत्री पर राजनीतिक बयानबाजी का आरोप लगाया। गंगापुर सिटी में विरोध पर केंद्रीय मंत्री शेखावत ने कहा कि कल मैंने विधायक रामकेश मीना को संदेश भिजवाया था कि आप काले झंडे भले दिखाएं, लेकिन साहस के साथ आकर एक बार साथ बैठकर बातचीत करें। मैं तो ईआरसीपी के मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी खुले मंच पर बहस की चुनौती देता हूं। शेखावत ने कहा कि अब राजस्थान सरकार नवनेरा-गलवा-बीसलपुर-ईसरदा लिंक परियोजना लेकर आई है। इसके लिए वाप्कोस एजेंसी को ही काम दिया, यह नई परियोजना पुरानी ईआरसीपी के चार कॉम्पोनेंट्स में से एक है।

 

इन्होंने इसे 75 प्रतिशत डिपेंडेंबिलिटी पर बनावाया, क्योंकि इन्हें पता है की 50 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी पर यह पास नहीं होगी, यदि पुरानी ईआरसीपी को 75 प्रतिशत डिपेंडेबिलिटी पर बनाकर जमा किया जाता तो 40,000 करोड़ की परियोजना में 60 प्रतिशत पैसा भारत सरकार देती। राजस्थान को मात्र 15-16 हजार करोड़ खर्च करने पड़ते। 13 जिलों को पीने और सिंचाई का पानी मिलता। वह करने के बजाय ये 15-16 हजार करोड़ रुपए खर्च करके 521 एमसीएम की योजना बनाकर तीन शहरों जयपुर, अजमेर, टोंक को मात्र पीने का पानी दे रहे हैं और जो अन्य 10 जिलों के नागरिकों के विरुद्ध एक पाप है। शेखावत ने कहा कि ये केवल प्रॉपर्टी बेचकर जेबें भरेंगे, गहलोत सरकार ने नई परियोजना के लिए टेक्निकल अप्रेजल, एनवायरनमेंट, वाइल्डलाइफ, ट्राइबल एरिया क्लीयरेंस समेत अन्य कोई क्लीयरेंस नहीं लिया है।

 

15 हजार करोड़ रुपए जुटाने के लिए ये सिंचाई विभाग की प्रॉपर्टी बेचेंगे, ऐसा इन्होंने कहा है। प्रॉपर्टी बेचकर पैसा इकट्ठा करके यह प्रोजेक्ट बनाएंगे, जो कभी बनने वाला नहीं है। सच्चाई यह है कि प्रॉपर्टी बेचकर अपनी जेब में भरने का यह षड़यंत्र मात्र है, क्योंकि यह जानते हैं कि बिना क्लीयरेंस के प्रोजेक्ट नहीं बनेगा। प्रॉपर्टी बेचेंगे, उसका पैसा भ्रष्टाचार से अपनी जेब में डालेंगे और इस प्रोजेक्ट पर सुप्रीम कोर्ट से स्टे हो जाएगा। शेखावत ने कहा कि अब प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन में ईआरसीपी परियोजना को पुरानी पीकेसी के साथ जोड़कर हमने नई परियोजना बनाई है।

 

Ready for open discussion with Chief Minister Gehlot on ERCP matter - Gajendra Singh Shekhawat

 

इससे राजस्थान को 2500 एमसीएम पानी मिलेगा, जिससे सभी 13 जिलों में पीने के पानी और सिंचाई की जरूरतें पूरी होंगी। 40 हजार करोड़ की इस परियोजना में 36 हजार करोड़ केंद्र सरकार देगी, लेकिन राजस्थान सरकार इसे राजनीतिक कारणों से स्वीकृति नहीं दे रही, जबकि मध्यप्रदेश ने इसे सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गहलोत सत्ता में वापसी के लिए खोखले दावों के साथ विजन 2030 का शिगूफा लेकर आए हैं। मैं पूछता हूं कि क्या ये राजस्थान की जनता को इसी रास्ते पर ले जाकर वर्ष 2030 तक दुर्दशा के उच्चतम स्तर पर ले जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल मुख्यमंत्री आत्ममुग्धता के भाव से ग्रसित हैं।

 

 

शेखावत ने कहा कि गहलोत सरकार ने राजस्थान को भ्रष्टाचार, रेप व महिलाओं पर अत्याचार, बेरोजगारी और महंगाई में देश में नंबर वन बना दिया है। करौली, भीलवाड़ा, जोधपुर आदि में दंगे हुए। जांच, मुआवजा और जमानत तक में भेदभाव किया गया। इस सरकार ने बहुसंख्यक समाज को दबाने की कोशिश की। अब तुष्टीकरण की नीति को देश से निकलने के लिए हमने कमर कसी है। हम संतुष्टीकरण के लिए काम कर रहे हैं। सरकार पर उंगली उठाते हुए शेखावत ने कहा कि देश का सबसे महंगा डीजल और पेट्रोल राजस्थान में बिकता है। अंतरराज्यीय सीमा के पास जो जिले हैं, वहां सब पेट्रोल पंप बंद हो गए हैं। पेट्रोल-डीजल माफिया पनप चुका है।
जल जीवन मिशन के सवाल पर शेखावत ने कहा कि राजस्थान की आवश्यकताओं को देखते हुए हमने सबसे ज्यादा बजट राजस्थान को दिया। पिछले चार साल में 29, 000 करोड़ रुपए राजस्थान को बजट आवंटित कर चुका हूं।

 

 

दुर्भाग्य से सबसे ज्यादा बजट लेने के बावजूद अगर मैं क्रियान्वयन की गति के आधार पर कहूं तो जल जीवन मिशन में राजस्थान नीचे से तीसरे पायदान पर है। उन्होंने कहा कि मैंने सवाई माधोपुर के लिए 4000 करोड़, धौलपुर-करौली के लिए 5000 करोड़ समेत अलवर के लिए भी पानी के लिए परियोजना स्वीकृत की हैं। 10 जिलों के लिए सारी स्वीकृति पहले से दी जा चुकी है। करीब 1000 एमसीएम पानी चंबल से मिलेगा। एक लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी।

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