वायुमण्डलीय दशाओं को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि पाला गिरने वाला है अथवा नहीं। जब विशेष ठण्ड हो, दिन भर ठण्डी और तेज हवा चले और शाम को हवा चलना रूक जाये, रात्रि में आकाश साफ हो और वायुमण्डल में नमी की मात्रा कम हो। ऐसी परिस्थितियां उस रात में पाला गिरने की संभावना को बढ़ा देती है। पाला रात में विशेषतया 12 से 4 बजे के बीच पड़ता है। उप निदेशक उद्यान चन्द्रप्रकाश बड़ाया ने बताया कि पाला पड़ने का पूर्वानुमान होने पर खेत की उत्तरी दिशा में अर्धरात्रि में सूखी घास-फूस, सूखी टहनियां, पुआल आदि को आग लगाकर धुंआ कर फसलों को पाले से बचाया जा सकता है। धुंआ करने से खेत में गर्मी बनी रहती है और फसलों के पौधों के चारों और तापमान में गिरावट नहीं आती है।
आग इस प्रकार ढेरियां बना कर लगाए कि खेत में फसल के उपर धुएं की एक पतली परत बन सके। जितना अधिक खेत में धुंआ फैलेगा, तापमान उतना अधिक बना रहेगा। अधिक धुंआ उत्पन्न करने के लिए घास-फूस सूखी टहनियां, पुआल आदि के साथ इंजन के जले हुए तेल का भी प्रयोग कर सकते है। उन्होंने बताया कि पाले का पूर्वानुमान होने पर खेत में हल्की सिंचाई देने से भूमि गर्म और नम बनी रहती है। सिंचाई देने से भूमि का तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ जाता है। किसानों के पास फव्वारा सिंचाई की सुविधा हो तो फव्वारा द्वारा सिंचाई करना लाभदायक रहता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जिस दिन पाला गिरने की सम्भावना हो तो फसलों पर गंधक के तेजाब के 0.1 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें। एक लीटर गंधक के तेजाब को एक हजार लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टेयर छिडकाव करें।
गंधक के तेजाब का असर दो सप्ताह तक रहता है। गंधक के तेजाब का छिड़काव करने के लिए केवल प्लास्टिक स्प्रेयर का ही उपयोग करना चाहिए। छिड़काव करते समय ध्यान रखें कि पूरे पौधे पर घोल की फुहार अच्छी तरह लगे। यदि पाला गिरने की सम्भावना हो तो 15 दिनों के अन्तराल पर पुनः छिड़काव करें। पौधशाला में पौधे छोटी अवस्था में होते है, जिसके कारण कम तापमान के प्रति अधिक संवेदनशील होते है। इस कारण में नर्सरी में पाले से अधिक नुकसान होता है। नर्सरी के पौधों को पाला से बचाने के लिए पौधों को रात्रि के समय बोरी के टाट अथवा घास-फूस से ढक दें। पौधों को ढ़कते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि पौधों का दक्षिण-पूर्वी भाग खुला रहे।
ताकि पौधों को सुबह और दोपहर को धूप मिलती रहे। बोरी के टाट अथवा घासफूस का प्रयोग दिसम्बर से फरवरी तक करें। मार्च महीने के प्रारंभ में इनको हटा दें। पौधशाला में पौधों को रात में प्लास्टिक की चादर से ढ़क कर भी पाले से बचाया जा सकता है। ऐसा करने से प्लास्टिक के अंदर का तापमान 2-3 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाता है। पौधशाला में छप्पर डालकर भी पौधों को बचाया जा सकता है। खेत में रोपित पौधों के थावलों के चारों और कडबी अथवा मूंज की टाटी बांधकर भी पौधों को पाले से बचाया सकता है।