हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 19 जनवरी को सवाई माधोपुर स्थापना दिवस जिसे उत्सव के नाम पर मनाया जाता है को मनाने की प्रशासनिक स्तर पर व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। लेकिन उत्सव मनाने से पूर्व ही ये कार्यक्रम चर्चा का विषय बनता जा रहा है।
चर्चाऐं तो यहाँ तक भी हैं कि सवाई माधोपुर उत्सव मनाने को लेकर सवाई माधोपुर जिला प्रशासन और जयपुर राजघराना भी आमने सामने हो सकते हैं। ऐसी सम्भावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि कार्यक्रम ही दो आयोजित हो जायें।
जिला कलेक्टर डाॅ. एस.पी. सिंह सवाई माधोपुर उत्सव को भव्य तरीके से मनाने के लिए बैठकें कर रहे हैं। दो दिन के कार्यक्रम भी तय कर चुके हैं। लेकिन उनके द्वारा निर्धारित कार्यक्रमों में से इस बार विशेष उल्लेखनीय कार्य करने वाली प्रतिभाओं को सम्मानित करने का प्रावधान हटा दिया गया। प्रशासन की इस कार्यवाही को लेकर जिले के प्रमुख लोगों में चर्चा है कि जिला प्रशासन स्थानीय राजनेताओं के दबाव व सलाह से काम कर इस उत्सव के वास्तविक महत्व को समाप्त करने का प्रयास कर रहा है।
सवाई माधोपुर की विधायक रही वर्तमान राजसमंद सांसद दिया कुमारी ने भी जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि वे किसी राजनैतिक दबाव में आकर सवाई माधोपुर उत्सव का राजनीतिकरण नहीं करें तो अच्छा रहेगा।
सांसद दिया कुमारी जो जयपुर राजघराने की सदस्य हैं, जिनके पूर्वजों ने ही सवाई माधोपुर की स्थापना की और इसी कारण जयपुर राजघराने व जिला प्रशासन के संयुक्त सहयोग से सवाई माधोपुर उत्सव हर वर्ष 19 व 20 जनवरी को मनाया जाता रहा है। लेकिन इस बार प्रशासन ने शायद जयपुर राजघराने को दरकिनार कर स्थानीय विधायक व अन्य राजनैतिक लोगों की सलाह से उत्सव मनाने का निर्णय कर लिया। उसमें भी प्रतिभाओं के सम्मान जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम को हटा दिया।
जबकि सांसद दिया कुमारी ने तो प्रदेश के पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह को पत्र लिखकर इस बात के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया है, कि उन्होने सांसद के प्रस्ताव आग्रह को स्वीकार कर सवाई माधोपुर उत्सव के लिए अतिरिक्त राशि स्वीकृत करने की अभिशंसा की है।
इस सारे घटनाक्रमों से लगता है कि प्रशासन ने सवाई माधोपुर उत्सव से जयपुर राजघराने को अहमियत नहीं दी तो कोई बड़ी बात नहीं जब एक उत्सव जिला प्रशासन और एक उत्सव जयपुर राजघराना मनाने को तैयार हो जाये।