Friday , 29 November 2024

तो क्या सचिन पायलट के साथ कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं का आंकलन कर रहे हैं प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा?

7 जून को भी जयपुर में कांग्रेस के वार रूम में बैठकर राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कांग्रेस के बड़े नेताओं से फीड बैक लिया। रंधावा के 7 जून के फीडबैक पर सवाल उठ रहे हैं कि पिछले दिनों ही रंधावा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ सभी विधायकों और प्रमुख नेताओं से फीडबैक लिया था। इस फीडबैक की रिपोर्ट अभी सामने भी नहीं आई कि 7 जून को फिर से फीडबैक की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जानकारों की मानें तो इस बार का फीडबैक पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट पर केंद्रित है।

 

रंधावा इस बात का आंकलन कर रहे हैं कि यदि पायलट कांग्रेस छोड़ते हैं तो कांग्रेस के कितने नेता उनके साथ जाएंगे। असल में पिछले दिनों दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े और राहुल गांधी के साथ मुख्यमंत्री गहलोत व पायलट की वार्ता तो हुई, लेकिन दस दिन बाद भी कोई सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए हैं। दिल्ली में भले ही दोनों नेताओं ने संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ फोटो खींचा लिया हो, लेकिन राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच एकजुटता देखने को नहीं मिल रही है। दिल्ली से लौटने के बाद पायलट ने स्पष्ट कर दिया कि वे अपनी मांग पर कायम है।

 

So is in-charge Sukhjinder Singh Randhawa assessing the leaders who left the Congress along with Sachin Pilot

 

जबकि पायलट की तीनों मांगों को मुख्यमंत्री गहलोत पहले ही खारिज कर चुके हैं। पायलट की मांग है कि राजस्थान लोक सेवा आयोग को बंद किया जाए तथा पेपर लीक के प्रभावित युवाओं को मुआवजा दिया जाए। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में हुए भ्रष्टाचार की जांच भी कराई जाए। जब इन तीनों मांगों को खारिज किया जा चुका है तो फिर पायलट के स्टैंड को लेकर भी चर्चा है। खडग़े और राहुल गांधी की समझौता बैठक के बाद भी अभी तक ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं, जिसमें गहलोत और पायलट के बीच एकजुटता नजर आती हो। जानकारों की मानें तो पायलट ने नया राजनीतिक दल बनाने का निर्णय ले लिया है।

 

पायलट का दल विधानसभा चुनाव से पूर्व अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और हनुमान बेनीवाल की आरएलपी से समझौता कर सकते हैं। केजरीवाल और बेनीवाल तो पहले ही सचिन पायलट को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने पर सहमति दे चुके हैं। यदि पायलट, केजरीवाल और बेनीवाल के साथ समझौता करते हैं तो फिर कांग्रेस को नुकसान होने की उम्मीद है। सूत्रों की मानें तो पायलट के कांग्रेस छोड़ने को लेकर हाईकमान भी चिंतित है। हाईकमान खास कर गांधी परिवार का प्रयास है कि पायलट को कांग्रेस में ही बनाए रखा जाए। जबकि सीएम गहलोत चाहते हैं कि पायलट जल्द से जल्द कांग्रेस से निकल जाए। कांग्रेस में सचिन पायलट की हैसियत का आकलन करने के लिए ही रंधावा प्रयास कर रहे हैं। (एसपी मित्तल, ब्लॉगर)

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