जयपुर : राजस्थान में बजरी खनन मामले में सरकार एवं आम जनता को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने लीगल माइनिंग को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने CEC कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए राज्य में लीगल माइनिंग को अनुमति दी है। जिसके बाद अब राजस्थान सरकार प्रदेश में लीगल माइनिंग शुरू कर सकेगी। इससे अब आम जनता को सस्ते दर पर बजरी मिल सकेगी। राज्य में करीब 3 साल से सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद भी बजरी का धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा था।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से ही अवैध बजरी खनन माफियाओं को बड़ा झटका लगा है। राज्य में अब अवैध बजरी माफियाओं की कमर टूट सकती है। वहीं लीगल माइनिंग से राज्य सरकार को भी करोड़ों रुपए के राजस्व की आय बढ़ेगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी की सिफारिशों को मानते हुए राज्य में बजरी खनन, अवैध खनन व अवैध खनन की रोकथाम के साथ ही खनन चालू कराए जाने को लेकर सुझाव स्वीकार किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 16 नवंबर, 2017 को राज्य में बजरी खनन पर रोक लगाई थी। इसके बाद राज्य सरकार ने 31 मार्च 2018 को बजरी खनन के सभी एलओआई निर्धारित 5 साल की अवधि पूर्ण होने पर खत्म कर दिए। लेकिन एलओआई धारकों ने यह कहते हुए आपत्ति कर दी कि जब खनन को लेकर लीज एग्रीमेंट ही नहीं हुआ तो अवधि कैसे खत्म हो सकती है। एलओआई खत्म करने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी स्टे दिया था। सुनवाई के दौरान ही सुप्रीम कोर्ट ने 19 फरवरी 2020 को सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी को 6 सप्ताह में अध्ययन कर सुझाव देने के निर्देश दिए। लेकिन कोरोना की वजह से कमेटी रिपोर्ट नहीं दे सकी।