जिले भर में तेज गर्मी के हालात बने हुए है। इसे देखते हुए चिकित्सा विभाग ने आमजन को एहतियात व सावधानी बरतने की सलाह दी है। साथ ही इस मौसम में दूषित पानी और भोजन के कारण भी बीमारियों उल्टी दस्त,मौसमी बीमारी, जलजनित रोगों में बढ़ोतरी होती है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. तेजराम मीना ने जिलेवासियों से विशेष सतर्कता बरतने की अपील की है। डाॅ. तेजराम मीना ने बताया कि गर्मी के प्रकोप की चपेट में कोई भी व्यक्ति आ सकता है परन्तु बच्चे, गर्भवती महिलाएं, बुजुर्ग व धूप में कार्य करने वाले व्यक्ति, खिलाडी और ठंडी जलवायु में रहने वाले व्यक्ति आदि जल्दी प्रभावित होते हैं। इसलिए इस मौसम में शरीर में लवण व पानी की मात्रा को कम नहीं होने देना चाहिए। लू के रोगी को तुरंत उपचार मिलना जरूरी है। लू से बचने के लिए भूखे पेट अधिक देर तक धूप में न रहें। चिपके रहने वाले कपडों के इस्तेमाल से बचें। गर्म, मादक पदार्थों, चाय और काॅफी का सेवन न करें। दूषित जल न पिएं, खुले में रखे व बाजार में बिकने वाले दूषित भोजन सामग्री का सेवन न करें। बिना चिकित्सकीय सलाह के किसी भी दवा का सेवन ना करें। शरीर में पानी एवं लवण अपर्याप्त होने पर विषम गर्म वातावरण में लू व तापाघात होता है। मस्तिष्क का एक केंद्र जो शरीर के तापमान को बनाए रखता है काम करना छोड देता है। लाल रक्त कोशिकाएं रक्त वाहिनियों में टूट जाती है व कोशिकाएं में जो पोटेशियम लवण होता है वह रक्त संचार में आ जाता है जिससे हृदय गति तेज हो जाती है व शरीर के अंग व अवयव प्रभावित होते हैं।
लू व तापाघात के निम्न लक्षण प्रभावी होते हैं।
1. सर का भारीपन व सरदर्द होना।
2. अधिक प्यास लगना व शरीर में भारीपन के साथ थकावट होना।
3. जी मचलाना या चक्कर आना।
4. शरीर का तापमान अत्यधिक: 105 फाॅरेनहाइट या अधिक होना, पसीना आना बंद होना, मुंह का लाल होना और त्वचा का अत्यधिक सूखा होना।
5. बेहोश होना या बेहोशी जैसी स्थिति होना।
6. समुचित उपचार के अभाव में मृत्यु भी संभव है।