2 साल के बजाए पांच साल में बन कर तैयार हुआ पुल। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 50 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार की
अजमेर में शहर में कोई 275 करोड़ रुपए की लागत से बने एलिवेटेड रोड़ का लोकार्पण मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कर दिया है। प्रदेश में सात माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं, ऐसे में पुल का लोकार्पण राजनीतिक दृष्टि से बहुत मायने रखता है। अब यदि मुख्यमंत्री लोकार्पण किया हैं तो इसका श्रेय कांग्रेस को मिलेगा, लेकिन जिस एलिवेटेड रोड़ यानी सीमेंट कंकरीट के पिलरों पर बनी सड़क का लोकार्पण सीएम गहलोत ने किया, उस सड़क का शिलान्यास 7 जुलाई 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। तब राजस्थान में वसुंधरा राजे के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थीं।
ऐलिवेटेड रोड़ का शिलान्यास प्रधानमंत्री ने इसलिए करवाया गया कि यह रोड़ स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में बन रहा था। इस प्रोजेक्ट में 60 प्रतिशत राशि केंद्र सरकार द्वारा वहन की जाती है। यानी 275 करोड़ रुपए में से 140 करोड़ रुपए की राशि केंद्र सरकार द्वारा दी गई है। लेकिन लोकार्पण समारोह में केंद्र सरकार के सहयोग का कोई उल्लेख नहीं किया जा रहा है। पीएम मोदी ने तब शिलान्यास किया था, जब पुल को दो वर्ष में तैयार होना था, लेकिन अब यह एलिवेटेड रोड़ पांच वर्ष में बनकर तैयार हुआ है। हालांकि शिलान्यास के पांच माह बाद ही राज्य में अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बन गई। निर्माण में विलंब होने से पुल की लागत पचास करोड़ बढ़ गई।
निर्माण के दौरान ही स्मार्ट सिटी और निर्माणकर्ता कंपनी जो-सिम्फोनिया के बीच विवाद भी हुआ। पुल निर्माण के कारण ही पिछले पांच वर्षों से अजमेर की यातायात व्यवस्था बिगड़ी पड़ी है। पुल की तीन भुजाएं बनाई गई है। एक बड़ी भुजा मार्टिंडल ब्रिज से गांधी चौराहे तक और दूसरी भुजा पुरानी आरपीएससी तथा तीसरी भुजा सोनी जी की नसिया तक है। पुलिस शुरू होने पर अजमेर शहर के यातायात में सुधार होगा। लेकिन रेलवे स्टेशन पर आने वाले लोगों के लिए पुलि का कोई उपयोग नहीं हो सकेगा। रेलवे स्टेशन आने और जाने के लिए लोगों को पहले की तरह सड़क का उपयोग करना पड़ेगा। पुलिस निर्माण से शहर की सड़कें भी सकड़ी हो गई है, क्योंकि सीमेंट कंकरीट के पिलर सड़क के बीच में खड़े किए गए हैं।
साफ-सफाई और सड़कें ठीक हुई:- अजमेर शहर की सड़कें टूटी फूटी हैं और गंदगी का साम्राज्य जगह जगह देखा जा सकता है। लेकिन पांच मई को सीएम गहलोत को जिन मार्गों से गुजरना है, वहां सड़कों की मरम्मत भी हो गई है और साफ-सफाई का काम एकदम दुरुस्त है। यहां तक कि सड़क के किनारे सामग्री बेचने वालों को भी पीछे धकेल दिया गया है। प्रशासन का प्रयास है कि मुख्यमंत्री के सामने कोई भी समस्या उजागर नहीं हो। चारों तरफ अच्छा ही अच्छा दिखना चाहिए। शहर की सड़कें अच्छी हो और साफ सफाई हो यह काम हमेशा ही होना चाहिए। सवाल उठता है कि सिर्फ मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए सड़कों की मरम्मत क्यों की गई।