सवाई मधोपुर / Sawai Madhopur : जुलाई माह हर वर्ष की भांति अभिभावकों (Parents) के लिए भारी जेब खर्च लेकर आता है। अच्छी शिक्षा (Education) और बेहतर व्यवस्था के लिए अभिभावक महंगाई (Dearness) की मा*र से बेहाल हैं। नए सत्र में कॉपी किताबों (Books) के दाम भी बढ़ गए हैं। दुकानदार एवं स्कूल (School) प्रबंधकों की कमीशनखोरी अभिभावकों पर भारी पड़ रही है। निजी स्कूल (Private School) हर वर्ष कोर्स में शामिल किताबों के प्रकाशक बदल देते हैं। ताकि अभिभावक पुरानी किताबें न खरीद सकें।
सरकार (Govt of Rajasthan) के आदेश है कि निजी स्कूलों में एनसीईआरटी (NCERT) की पुस्तकें पाठ्यक्रम में शामिल की जाएं, लेकिन यह नियम प्राइवेट स्कूलों में लागू होते नहीं दिखाई दे रहा है। कुछ स्कूलों में एनसीईआरटी एवं राजस्थान बोर्ड (Board Of Rajasthan) की किताबें चल रही है लेकिन उनके अलावा भी कुछ निजी लेखकों की किताबें पढ़ाई जा रही है। निजी स्कूल संचालक पूरी तरह से मनमानी पर उतारू हैं।
नया सेशन शुरू होते ही यूनिफार्म (School Uniform), जूते (Shoes) एवं मोजे (Socks) के साथ ही किताबें और पाठ्यक्रम (Syllabus) के नाम पर कमीशनखोरी का खेल शुरू हो गया है। सुबह से शाम तक किताब विक्रेताओं के यहां अभिभावकों और बच्चों की भीड़ जुटी है। बेहतर शिक्षा के नाम पर अभिभावकों की जेब खाली कराई जा रही है।
निजी विद्यालयों द्वारा अपने स्तर पर तैयार किया जा रहा है पाठ्यक्रम:-
निजी विद्यालयों द्वारा अपने-अपने स्तर पर पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। हर स्कूल द्वारा अपनी सुविधा अनुसार निजी प्रकाशकों से तालमेल बैठा कर अलग – अलग पाठ्यक्रम छपवाकर अनुचित और मनमाने मूल्यों पर निश्चित दुकानदारों के माध्यम से किताबों को बेचा जा रहा है।
फिक्स दुकानों पर मिल रही है किताबे:-
निजी स्कूलों में एडमिशन के साथ ही अभिभावकों को किताबों की लिस्ट दी जा रही है। साथ ही जिस दुकान से खरीदनी है उसका नाम भी बता रहे है। खेल ऐसा चल रहा है पूरे बाजार में ढूंढ़ने के बाद भी किताबें सिर्फ वहीं मिलेंगी, जिस दुकान की सांठ-गांठ स्कूल के साथ है। मजबूरन अभिभावकों को उस फिक्स दुकान के से ही किताबे एमआरआपी रेट पर खरीदनी पड़ रही है।
जिससे अभिभावकों की जेब ढीली हो रही है। निजी स्कूलों की इस मनमानी से हर कोई वाकिफ है, लेकिन बच्चों के भविष्य को देखते हुए कोई भी अभिभावक कुछ बोलने को तैयार नहीं है। वहीं, नियमों से बंधा प्रशासन भी कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि इन निजी स्कूल संचालकों पर किसी भी तरह का कोई अंकुश नहीं है। अच्छी शिक्षा और व्यवस्था के नाम पर अभिभावकों का शोषण किया जा रहा है।
(लेख : किरोड़ी लाल मीणा / Kirodi Lal Meena – कनिष्ठ सहायक, सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी, सवाई माधोपुर)