गांधीवाद विचारधारा से बढ़कर समग्र जीवन पद्धति है। जब दुनियाभर में रंग, नस्ल, जाति, धर्म, भाषा के आधार पर तनाव है, आर्थिक संसाधनों पर कब्जे का संघर्ष है, गांधीवाद दुनिया को शांति और सह अस्तित्व की ओर ले जाने का सुंदर रास्ता बताता है। दुनिया को देर सबेर इसी रास्ते पर लौटना होगा।
राज्य सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा आयोजित अगस्त क्रान्ति सप्ताह के प्रथम दिन जिला मुख्यालय स्थित महात्मा गांधी राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, साहूनगर में आयोजित “भारत छोड़ो आंदोलन” विचार गोष्ठी में जिला कलेक्टर ने ये विचार रखे। उन्होंने बताया कि आजादी की लड़ाई में बड़ी संख्या में क्रान्तिकारी शहीद हुए जिनका योगदान सदा स्मरणीय रहेगा। गांधीजी ने एक पूरी पीढ़ी को आत्मबल के माध्यम से इतना मजबूत, इतना निडर बना दिया कि अंग्रेजों को अहसास हो गया कि यह वो भारत नहीं रहा, बहुत कुछ बदल गया है। अब यह देश राष्ट्र के रूप में उठ खड़ा हुआ है, इसको पराधीन बनाये रखना असम्भव है। यह गांधीजी थे जिन्होंने राष्ट्र की सामूहिक चेतना को विकसित किया। भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से समाज का प्रत्येक तबका जिसमें स्त्री, आदिवासी, विद्यार्थी शामिल थे, आजादी के लिये सड़कों पर आ गया।
जिला पुलिस अधीक्षक ने बताया कि भारत छोड़ो आंदोलन स्वाधीनता संघर्ष का सबसे महत्वपूर्ण टर्निंग प्वाइंट था। इस आंदोलन के तत्काल बाद अंग्रेज नहीं गये लेकिन इस आंदोलन ने ब्रिटेन समेत पूरी दुनिया को बता दिया कि भारत को आजाद करना ही होगा। भारत की स्वाधीनता में इस आंदोलन का बड़ा महत्व है और इस आंदोलन के माध्यम से गांधीजी ने बताया कि जहाॅं आत्मबल है, वहीं सच्चाई है और जहाॅं सच्चाई है, वहीं जीत है।
महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के जिला सह संयोजक विनोद जैन ने बताया कि गांधीजी के 150वीं जयन्ती वर्ष पर राज्य सरकार विस्तृत कार्यक्रम आयोजित कर रही है ताकि बापू का जीवन और दर्शन आज की युवा पीढ़ी समझ सके। उनके विचारों को आज पूरी दुनिया अपना रही है। गांधीवाद ही इस दुनिया का भविष्य है। भारत छोड़ो आंदोलन के माध्यम से बापू ने बताया कि सच्चा लीडर जोड़ता है। उन्होंने विभिन्न धर्मों, भाषाओं, प्रांतों, जातियों, वर्गों के व्यक्तियों को राष्ट्र की आजादी के लिये एकता के धागे में बुन दिया।
इतिहासविद् इंसाफ अली, संतोष कुमार शर्मा, मोइन खान, आलोक कुमार शर्मा और योगेश जेलिया ने आंदोलन की पृष्ठभूमि, तात्कालिक और दीर्घकालिक प्रभावों पर विस्तार से व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि क्रिप्स मिशन की विफलता के बाद 8 अगस्त को आल इन्डिया कांग्रेस कमेटी ने मुम्बई अधिवेशन में अंग्रेजों को भारत से चले जाने का अल्टीमेटम दिया और अंग्रेजों को इसके लिये मजबूर करने हेतु अहिंसक भारत छोड़ो आंदोलन 9 अगस्त से शुरू करने का प्रस्ताव पारित किया। युसुफ मेहर अली का प्रसिद्ध नारा “अंग्रेजों भारत छोड़ो” राष्ट्र मंत्र बन गया। गांधीजी का दिया नारा ‘करो या मरो” राष्ट्र की आत्मा में बस गया। गांधी, नेहरू, पटेल समेत कांग्रेस के समस्त शीर्ष नेतृत्व को गिरफ्तार करने के बावजूद मुस्लिम लीग, हिन्दू महासभा, कम्युनिस्टों को छोड़कर पूरा राष्ट्र इस आव्हान पर उमड़ पड़ा। हैलीकाॅप्टर से गोलियां बरसाने के दमन चक्र के बावजूद आंदोलन बढ़ता ही गया। अंग्रेज समझ गये कि अब भारत को गुलाम बनाये रखना आर्थिक, सैनिक, कूटनीतिक रूप से बहुत जोखिम भरा होगा। इसका परिणाम देश की आजादी के रूप में सामने आया।
इस अवसर पर जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामचन्द्र मीणा, उपखण्ड अधिकारी कपिल शर्मा, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम बैरवा, सहायक निदेशक रमेश मीणा व बड़ी संख्या में प्रबुद्ध श्रोतागण उपस्थित रहे।