जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट सुरेश कुमार ओला ने आदेश जारी कर दीपावली पर प्रतिबंधित पटाखों के विक्रय एवं उपयोग पर कड़ी कार्रवाई के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए है। दीपावली के त्योंहार के अवसर पर प्रदेश भर में आतिशबाजी व पटाखे चलाये जाते है जिससे न केवल वायु प्रदूषण होता है बल्कि इससे ध्वनि प्रदूषण भी अत्यधिक बढ़ जाता है। पटाखों एवं आतिशबाजी से होने वाले प्रदूषण के संबंध में सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के संबंध में पारित निर्णय के अनुसार रात्रि 10 बजे से प्रातः 6 बजे तक ध्वनि उत्पन्न करने वाले पटाखों का उपयोग प्रतिबंधित किया गया है।
वहीं पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा ध्वनि उत्सर्जित करने वाले पटाखे शांति परिक्षेत्र या रात्रि समय में नहीं चलाए जाने का प्रावधान किया गया है तथा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के अन्तर्गत विरचित ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियम 2000 के अन्तर्गत जिला मजिस्ट्रेट एवं उपखण्ड मजिस्ट्रेट को ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण उपायों एवं ध्वनि के परिप्रेक्ष्य में परिवेशी वायु गुणवता की पालना कराने के लिए प्राधिकारी घोषित किया गया है।
समसंख्यक राज्यादेश 25 फरवरी 2009 से ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 के अन्तर्गत जिला मजिस्ट्रेट एवं उपखण्ड मजिस्ट्रेट के अलावा अन्य प्राधिकारियों को भी प्राधिकारी घोषित किया गया है। प्रतिबंधों के बावजूद दीपावली के आस-पास रात्रि काल में पटाखे चलाने एवं आतिशबाजी के फलस्वरूप ध्वनि एवं वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि की शिकायतें सामने आती है।
इस दीपावली पर ऐसी स्थिति नहीं बने यह सुनिश्चित किया जाना अति आवश्यक है। उन्होंने दीपावली पर पटाखों के प्रयोग एवं वायु व ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण के संबंध में सर्वाेच्च न्यायालय एवं राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण तथा वैधानिक प्रावधानों की पालना सुनिश्चित किये जाने के संबंध में पुलिस अधीक्षक एवं उपखण्ड अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए हैं।