कांग्रेस का उन सीटों पर मंथन और चिंतन जारी है जो कांग्रेस के लिए चुनौती पूर्ण रही है, यहां योग्य उम्मीदवार तलाशे जा रहे। दो या तीन बार इन सीटों पर पार्टी ने सर्वे कराया है। सुनील कानूगोलू की टीम ने 70 चुनौती पूर्व सीटों पर सर्वे करा लिया है। आज होने वाले प्रदेश इलेक्शन कमेटी की बैठक में इन सीटों पर विस्तृत चर्चा होगी। कुछ सीटों पर तो अभी भी जीताऊ चेहरों का अभाव है। राज्य में करीब 70 सीटें ऐसी है, जो कांग्रेस के लिए पथरीली और कांटों भरी है, यहां जीताऊ चेहरे खोजे जा रहे है। प्रदेश कांग्रेस की इलेक्शन कमेटी ने पिछली बैठकों में भी इन सीटों पर मंथन किया और अभी भी चिंतन जारी है, जिससे जीताऊ फेस सामने लाए जा सके। पहले उन 42 सीटों के नाम जहां कांग्रेस ने पिछले तीन चुनावों से हार रही।
पिछले तीन चुनावों से कांग्रेस इन सीटों हार रही
श्रीगंगानगर, भादरा, बीकानेर पूर्व, रतनगढ़, उदयपुरवाटी, खंडेला, शाहपुरा, फुलेरा, विद्याधर नगर, मालवीय नगर, सांगानेर, बहरोड़, थानागाजी, अलवर शहर, रामगढ़, नगर, नदबई, धौलपुर, महुआ, गंगापुर सिटी, मालपुरा, अजमेर उत्तर, ब्यावर, नागौर, खींवसर, जैतारण, पाली, मारवाड़ जंक्शन, बाली, सूरसागर, शिवाना, भीनमाल, सिरोही, उदयपुर, राजसमंद, आसींद, भीलवाड़ा, बूंदी, लाडपुरा, कोटा दक्षिण, झालरापाटन, खानपुर, अनूपगढ़, अजमेर दक्षिण, मेड़ता, सोजत, भोपालगढ़, रेवदर, रामगंजमंडी, बस्सी, घाटोल, कुंभलगढ़ हालांकि इनमें से श्रीगंगानगर, महुवा, बस्सी से कांग्रेस विचारधारा के निर्दलीय विधायक बने जो अभी कांग्रेस का साथ दे रहे। वहीं उदयपुर वाटी, नगर, नदबई से बीएसपी के विधायक बने। अब इनमें से नगर, नदबई के विधायक कांग्रेस का टिकट मांग रहे। भादरा से सीपीएम ने जीत दर्ज की ये भी कांग्रेस के साथ, ये सीट सीपीएम के साथ गठबंधन में भी जा सकती है। अभी गठबंधन में बाधा बना हुआ कॉमरेड अमराराम का मसला..अमराराम लडना चाहते है दांता रामगढ़ से चुनाव, इस सीट पर अभी कांग्रेस से विधायक है, कांग्रेस की स्थिति इस सीट पर खराब भी नही है, ऐसे में सवाल यही है कि कैसे गठबंधन निभाया जाए।
अब वह सीटें जो लगातार पिछले दो चुनावों से कांग्रेस हार रही
सूरतगढ़, संगरिया, लूणकरणसर, श्रीडूंगरगढ़, चूरू, सूरजगढ़, चौमूं, तिजारा, किशनगढ़ बास, मुंडावर, किशनगढ़, पुष्कर, नसीराबाद, मकराना, सुमेरपुर, फलोदी, आहोर, रानीवाड़ा, मावली, चित्तौड़गढ़, बड़ी सादड़ी, कुंभलगढ़, मांडलगढ़, छबड़ा, मनोहर थाना, पिंडवाड़ा, गोगुंदा, झाडोल, उदयपुर ग्रामीण, चौरासी, सागवाड़ा, गढ़ी, आसपुर, रायसिंहनगर, पीलीबंगा, दूदू, जालौर, कपासन, शाहपुरा, के पाटन, डग, हमने आपको जिन सीटों के नाम बताएं उनमें से कई सीटें तो ऐसी भी है, जहां कांग्रेस पिछले 5 से ज्यादा चुनावों से हार रही है। आज यह सीटें बीजेपी के गढ़ बनी हुई है। इनमें शहरी और कस्बाई सीटें अधिक है। कुछ सीटों को RLP और बीटीपी ने कांग्रेस से हथियाया, दूदू में कांग्रेस विचाराधार के निर्दलीय विधायक है। तिजारा, किशनगढ़ बास से बीएसपी से जीते विधायक अब कांग्रेस में है।
ऐसी कुछ सीटों को जिले बनाकर सियासी संदेश देने की कोशिश की
परिसीमन के बाद भी कांग्रेस चुनाव नही जीत पाई। चाहे वो मालपुरा हो या शाहपुरा हो, अशोक गहलोत ने ऐसी कुछ सीटों को जिले बनाकर सियासी संदेश देने की कोशिश की है। इलेक्शन कमेटी सर्वे के आधार पर इन सीटों पर उम्मीदवार तय करेगी। इन सीटों पर किसी बड़े नेता का प्रभाव काम नही आयेगा। कांग्रेस आलाकमान फीडबैक और सर्वे के आधार पर निर्णय करेगा। संभव है पहली सूची में बीजेपी की तर्ज पर कांग्रेस भी अपनी कमजोर सीटों पर नामों की घोषणा कर दे, जिससे टिकट वितरण के बाद पनपने वाले डैमेज कंट्रोल में भी मदद मिल सके।