रणथंभौर के बाघ टी-57 के बीमार होने पर वन विभाग की टीम ने बाघ को ट्रेंक्यूलाइज कर पशु चिकित्सकों ने उसका उपचार किया। पशु चिकित्सकों ने बाघ को फ्लूड थैरेपी दी और ड्रिप चढ़ाकर कई प्रकार के ताकतवर व पाचन क्रिया को ठीक करने वाली दवाएं तथा विटामिन दिए। इसके बाद बाघ को रणथंभौर के जंगल में छोड़ दिया। वन विभाग की टीम बाघ की गतिविधियों पर लगातार नजर रखे हुए है। जानकारी के अनुसार गत दिनांक 20 दिसबर को बिदाकड़ा खाल नाका गुड़ा मानसरोवर में रेंज ऑफिसर महेश शर्मा द्वारा बाघ टी-57 के बीमार होने की सूचना वन विभाग को दी। इसके बाद चिकित्सकों और अधिकारियों ने बाघ को देखा तो बाघ पानी के पास लेटा हुआ था और काफी कमजोर स्थिति में लग रहा था। इसीलिए तुरंत वेटरनरी इंटरवेंशन के लिए वन विभाग के उच्च अधिकारियों को जानकारी दी गई।
इस पर रात भर मॉनिटरिंग के बाद अनुमति मिलने पर गत बुधवार को चिकित्सकों की टीम ने मुख्य वन संरक्षक एसआर यादव, एसीएफ मानस सिंह और एनटीसीए के प्रतिनिधि दौलत सिंह की उपस्थिति में उपचार किया गया और बाद में बाघ को 24 घंटे चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया। जिसे आज गुरुवार को सुबह दस बजे मुख्य वन संरक्षक एसआर यादव, उप वन संरक्षक संग्राम सिंह कटियार और रेंज ऑफिसर महेश शर्मा, आरओपीटी के साथ वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. चन्द्र प्रकाश मीना, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव गर्ग के साथ ने बाघ को काफी अलर्ट और एक्टिव देखा और अच्छा मुंवमेट कर रहा था। लेकिन शाम पांच बजे तक बाघ ने कुछ नहीं खाया। आज शाम को पुनः चिकित्सकों की टीम और अधिकारियों ने देखा तो बाघ पुनः dull and depressed था और एक जगह बैठा रहा। वन्य जीव चिकित्सक और स्टाफ लगातार टाइगर की मॉनिटरिंग कर रहे है।