रणथंभौर बाघ परियोजना सवाई माधोपुर की रेंज खण्डार से मादा बाघ टी-134 का को सरिस्का बाघ परियोजना में भेज दिया गया है। जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक राजस्थान जयपुर के आदेशों पर टी-134 बाघिन को ट्रेंकुलाइज कर पकड़ा गया तथा आवश्यक जांच कर स्वस्थ अवस्था में सरिस्का टीम के सुपुर्द कर दिया गया। जो दोपहर बाद उसे लेकर सरिस्का के लिए रवाना हो गये। बाघिन टी-134 लगभग 3 वर्ष 6 माह की है जो अब तक अपनी टेरेटरी यहां स्थापित नहीं कर पाई थी।
टी-134 बाघिन की माँ टी-93 है जो अब नए शावकों के साथ विचरण कर रही है। इस क्षेत्र में अन्य बाघों का विचरण रहता है।
रणथंभौर से बाघिन का सरिस्का ट्रांसलोकेशन मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव एवं क्षेत्र निदेशक रणथम्भौर बाघ परियोजना एस.आर. यादव के नेतृत्व में किया गया।
इस कार्य में क्षेत्र निदेशक सरिस्का आर.एन. मीणा, उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक कैलादेवी करौली डॉ. आर.एन. भाकर, उप वन संरक्षक उप क्षेत्र निदेशक प्रथम रणथंभौर बाघ परियोजना मोहित गुप्ता, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक प्रतिनिधि संजीव शर्मा, उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक रामगढ़ विषधारी बाघ परियोजना बूंदी, डीपी जागावत उप वन संरक्षक एवं उप क्षेत्र निदेशक सरिस्का, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के प्रतिनिधि अभिषेक भटनागर, अरूण शर्मा सहायक वन संरक्षक, विष्णु गुप्ता रेंजर, डॉ. सीपी मीणा, डॉ. राजीव गर्ग, डॉ. डी.डी. मीणा एवं रेस्क्यू प्रभारी राजवीर सिंह व अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे।