केंद्रीय संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव एवं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आज मंगलवार को स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम (ओएस) भरोस (BharOS) का परीक्षण किया है। इस मोबाइल ओएस को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के इनक्यूबेटेड फर्म द्वारा विकसित किया गया है। इस सॉफ्टवेयर को कमर्शियल ऑफ-द-शेल्फ हैंडसेट पर भी इंस्टॉल किया जा सकता है।
केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम “भरोस” (BharOS) पर कहा कि इस सफर में मुश्किलें आएंगी और दुनिया भर में ऐसे कई लोग होंगे जो मुश्किलें लेकर आएंगे और वह नहीं चाहेंगे कि ऐसा कोई सिस्टम सफल साबित हो। इस हेतु हमें बहुत सावधानी बरतनी है और लगातार प्रयत्न से इसे सफल बनाने की ओर काम करना है। केंद्रीय मंत्री ने भरोस को “भरोसा” बताया है।
क्या है भरोस (BharOS):-
भरोश (BharOS) एक स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है। इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT Madras) के इनक्यूबेटेड फर्म द्वारा विकसित किया गया है। इस ओएस (OS) को लेकर भारत के 100 करोड़ मोबाइल फोन यूजर्स को लाभ पहुंचाने का दावा किया गया है। इस ओएस की विशेष बात यह है कि यह हाईटेक सिक्योरिटी व प्राइवेसी के साथ आता है। मलतब इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर्स को उनकी जरूरतों के अनुरूप एप चुनने व उपयोग करने के लिए अधिक स्वतंत्रता, नियंत्रण और लचीलापन मिलता है। भरोस (BharOS) को कमर्शियल ऑफ-द-शेल्फ डिवाइस पर इंस्टॉल किया जा सकेगा है। साथ ही भरोस नो डिफॉल्ट एप्स के साथ आता है।
इसका अर्थ यह है कि यूजर्स को उन एप्स का उपयोग करने के लिए बिल्कुल मजबूर नहीं किया जाता, जिनसे वे परिचित नहीं है या जिन्हें वे सिक्योरिटी के तरीके से सुरक्षित नहीं मानते हैं या उन एप पर भरोसा नहीं करते हैं। स्वदेशी ओएस यूजर्स को उन एप पर अधिक कंट्रोल देगा जो उनके डिवाइस में हैं। इतना ही नहीं यूजर्स उन एप को भी सिलेक्ट कर सकते हैं जिनको वह अपने डिवाइस में कुछ सुविधाओं या डाटा पर पहुंच के लिए एक्सेस देना चाहते हैं। अगर आसान शब्दों में कहें तो इस ऑपरेटिंग सिस्टम में यूजर्स का कंट्रोल ज्यादा होता है।
कितना सुरक्षित है भरोस (BharOS):-
भरोस संगठन-विशिष्ट प्राइवेट एप स्टोर सर्विस से विश्वसनीय एप्स को ही एक्सेस देता है। दरअसल, विशिष्ट प्राइवेट एप स्टोर सर्विस (PASS) उन एप्स को ही क्यूरेटेड लिस्ट तक पहुंचने की अनुमति देता है, जिन्हें पूरी तरह से जांचा गया है व ऑर्गेनाइजेशन के कुछ सुरक्षा और गोपनीयता स्टैंडर्ड को पूरा करता हो।
इसका मतलब यह है कि यूजर्स आश्वस्त हो सकते हैं कि वे अपने डिवाइस में जो एप इंस्टॉल कर रहे हैं वे उपयोग करने के लिए सुरक्षित हैं व किसी भी संभावित सुरक्षा भेद्यता या प्राइवेसी संबंधी चिंताओं के लिए टेस्ट किए गए हैं।
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