कर्नाटक: पिछले महीने कन्नड़ और मराठी भाषा को लेकर हुए झ*गड़े के खिलाफ कन्नड़ संगठनों के एक महासंघ ने राज्यव्यापी बंद के तहत कई शहरों में वि*रोध प्र*दर्शन किए हैं। कन्नड़ संगठनों के सदस्यों ने दोपहिया वाहनों से बेंगलुरु और दूसरे शहरों में जाकर दुकानदारों से प्र*दर्शन में शामिल होने की अपील की। हालांकि प्रदेश में बस सेवा सामान्य है, लेकिन टैक्सी सर्विस यूनियन ने बंद का समर्थन किया है।
पुलिस कमिश्नर इयाडा मार्टिन मारबानियांग ने बीबीसी हिंदी को बताया कि बेलगावी में हालात सामान्य है। बेलगावी इस समस्या का केंद्र है, जहां से इस बहस की शुरुआत हुई। बंद का ये एलान 24 फरवरी को हुई उस घटना के बाद किया गया था, जिसमें तीन किशोरों ने एक सार्वजनिक परिवहन बस कंडक्टर के साथ बस पास को लेकर झ*गड़ा किया था।
आखिर क्या है पूरा मामला?
ये घटना बेलगावी ग्रामीण तालुक में सामरा एयरपोर्ट जाने वाली सड़क पर हुई थी। कंडक्टर ने बस में सफर कर रही लड़की को ‘जीरो’ टिकट दिया था। जीरो टिकट का मतलब फ्री टिकट है, क्योंकि कर्नाटक में सरकारी बसों में महिलाएं मुफ्त में यात्रा कर सकती हैं। कहा जा रहा है कि इस छात्रा के साथ सफर कर रहे किशोर ने कंडक्टर को टिकट दिखा कर बताया कि उसने टिकट ले लिया है। लेकिन बताया जा रहा है कि कंडक्टर ने उससे कहा कि ‘जीरो’ टिकट सिर्फ लड़कियों या महिलाओं के लिए है।
कंडक्टर ने लड़के से कहा कि उसे टिकट लेना पड़ेगा। कंडक्टर सिर्फ कन्नड़ में बोल सकते थे। जबकि लड़के और लड़की ने सिर्फ मराठी में बात की। झग*ड़े के बाद, अगले बस स्टॉप पर मराठी संगठनों के समर्थकों ने कंडक्टर की पि*टाई की। कंडक्टर की शिकायत के कुछ समय बाद, लड़की ने भी शिकायत दर्ज कराई और कंडक्टर के खिलाफ पॉक्सो का मामला दर्ज कराया।
इस घटना के कारण बेलगावी और कोल्हापुर के बीच एक दिन के लिए यातायात बाधित रहा। मंत्रियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित विभिन्न पक्षों के हस्तक्षेप के बाद मामला सुलझ गया और लड़की के परिवार ने शिकायत वापस लेने की पेशकश की। भाषा का मुद्दा कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच 58 साल पुराने सीमा विवाद से जुड़ा हुआ है।