बिना सत्संग के यह जीवन अधूरा है। सत्संग से मनुष्य की आंखें खुल जाती हैं, और वह ईश्वर के सानिध्य को प्राप्त कर लेता है। संसार में सबसे गरीब वह व्यक्ति नहीं है जिसके पास धन नहीं है, बल्कि वह व्यक्ति गरीब है जिसके पास धन होते हुए भी संतुष्टि का भाव नहीं है। संतोषी सदा सुखी होता है। ऐसा व्यक्ति जिसके पास अपार संपत्ति है, लेकिन सत्संग का समय नहीं है, ईश्वर के लिए कोई खर्च नहीं है, वह व्यक्ति सबसे बड़ा दीन और दुखी है।
जिस व्यक्ति के पास संतोष है वह व्यक्ति गरीब होते हुए भी धनवान से कहीं अधिक संतुष्ट है। ऐसे व्यक्ति को ही परमात्मा की प्राप्ति होती है।जिस व्यक्ति को बात-बात पर क्रोध आता हो, यही नर्क है। और जिस व्यक्ति को कभी क्रोध नहीं आता हो, वह व्यक्ति स्वर्ग जैसी अनुभूति करता है।
संसार में अगर सबसे सच्चा मित्र, बंधु कोई है, तो वह परमात्मा है। कोई भी संसार का व्यक्ति हमारा मित्र एवं शाखा नहीं हो सकता, क्योंकि वह कभी भी बदल सकता है, कभी भी हमारा साथ छोड़ सकता है, लेकिन परमात्मा हमारा ऐसा मित्र एवं सखा है, जो हमारे साथ हर जन्म में, हर रूप में रहेगा। यह अमृत वचन नगर रामलीला मैदान में चल रही संगीतमय राम कथा ज्ञान यज्ञ में कथावाचक महामंडलेश्वर दिव्य मुरारी बापू ने श्रोताओं के समक्ष प्रकट किए।
आयोजन से जुड़े दिलीप शर्मा ने बताया कि बापू द्वारा भगवान राम की बाल लीला, यज्ञ रक्षा, अहिल्या उद्धार की कथा मैं बापू द्वारा व्यक्ति के जीवन में आने वाले सुख-दुख, जीवन में बनने वाले शत्रु -मित्र एवं अमीरी और गरीबी के विषय पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला गया।बीच-बीच में बापू द्वारा गाए गए संगीतमय भजनों पर उपस्थित महिलाएं एवं पुरुष आनंदित होकर थिरकने पर मजबूर हो गए। संगीतमय रामकथा सुनने के लिए शहर के लोगो मे काफी उत्साह है और भीड़ भी बड़ी संख्या में आ रही है।