राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत 28 सितम्बर को विश्व रेबीज दिवस मनाया जाएगा। वहीं जिला मुख्यालय पर आमजन कुत्तों एवं बंदरों के आतंक से परेशान हैं। जो रेबीज होने का सबसे बड़ा कारण होते हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. धर्मसिंह मीना ने बताया कि चिकित्सा विभाग की ओर से 28 सितम्बर से 4 अक्टूबर तक जागरूकता सप्ताह का आयोजन भी किया जाएगा। जिसमें रेबीज ऑल फोर वन, वन हेल्थ फॉर ऑल थीम पर गतिविधियों का आयोजन होगा।
उन्होने बताया कि रेबीज एक जानलेवा संक्रमण है, समय पर सही एवं पूर्ण उपचार से रेबीज की रोकथाम संभव है। रेबीज के वाहक रेबीज बीमारी से ग्रस्त कुत्ते, बिल्ली और बंदर है, जिनके काटने या खरोचने से रेबीज होता है, जिन जानवरों के एंटी रेबीज टीका नहीं लगा होता है उनके काटने व खरोंचने से रेबीज होने की संभावना बढ़ जाती है। रेबीज से बचाव के लिए किसी जानवर के काटने पर घाव को साबुन या बहते हुए पानी में 15 मिनट तक धोएं, एंटीसेप्टिक दवाई का इस्तेमाल करें और एंटी रेबीज टीके का पूरा कोर्स ले। घर में पालतू जानवरों के एंट्री रेबीज का टीका लगवाए।