सत्रांक और मुख्य परीक्षा के अंकों पर सरकारी स्कूलों पर की गई सख्ती का विरोध
राजस्थान में शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की ओर से जारी एक आदेश को अनुचित बताते हुए विरोध जताया है। शिक्षक संगठनों ने 10वीं और 12वीं बोर्ड के छात्रों के सत्रांक भेजने के मामले में सरकारी स्कूलों पर की गई सख्ती का विरोध किया है। शिक्षकों ने कहा कि शिक्षा विभाग ने सरकारी विद्यालयों पर सख्ती का आदेश निकाला है। जबकि प्राइवेट स्कूलों पर आदेश लागू नहीं है। शिक्षकों ने विरोध में कहा है कि सालभर तक छात्रों के लिए विषय अध्यापकों की व्यवस्था नहीं की गई है। लेकिन अब इस सत्र के आखिर में शिक्षा विभाग ने पढ़ाई की सुध ली है। शिक्षा विभाग ने आदेश जारी किए हैं कि सत्रांक और मुख्य परीक्षा के अंकों में 50 फीसदी या इससे अधिक का अंतर पाया गया तो सत्रांक संदिग्ध माने जाएंगे। संस्था प्रधान को कारण स्पष्ट भी करना होेगा कारण सही नहीं पाए जाने पर विभागीय कार्रवाई भी होगी।
आदेश में यह भी है की संस्था प्रधानों को हर विषय की दो प्रतिशत उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कर प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। तीन साल तक अर्द्धवार्षिक और परख (टेस्ट) की कॉपियों को सुरक्षित रखा जाना अनिवार्य होगा। बाहरी शिक्षक की मौजूदगी में विषय अध्यापक परख, अर्द्धवार्षिक के अंकों और बोर्ड में भेजे जाने वाले अंकों का मिलान करना होगा। इस पर शिक्षकों का कहना है कि यह एक तरफा आदेश है प्राइवेट स्कूलों को फायदा पहुंचाकर सरकारी स्कूलों को डर दिखाया जा रहा है निजी स्कूलों पर सख्ती की जरूरत है। सत्रांक पर कैंची चलाने से सरकारी स्कूलों के बोर्ड का परिणाम कम ही रहेगा।