2047 तक राजस्थान को विकसित राज्य बनाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध – प्रमुख शासन सचिव
जयपुर:- राजस्थान वर्ष 2047 तक देश में अग्रणी राज्य बने इसके लिए राज्य सरकार द्वारा विकसित राजस्थान- 2047 दस्तावेज तैयार किया जा रहा है। इसी कडी में पशुपालन विभाग द्वारा मंगलवार को पशुधन भवन में प्रमुख शासन सचिव, पशुपालन विभाग विकास सीताराम भाले की अध्यक्षता में पशुपालन विभाग के दस्तावेज को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में पशुपालन विभाग से जुड़े राज्य स्तरीय अधिकारियों ने भाग लिया।
प्रमुख शासन सचिव, भाले ने कहा कि पशुपालन विकास राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र मे आता है। इसलिए राज्य में पशुपालन के विकास के लिए प्रारूप तैयार करना और पशुपालन क्षेत्र की प्रगति को सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है। इसी उद्देश्य के साथ विकसित राजस्थान के प्रारूप को तैयार किया गया है। इसका लक्ष्य पशुपालक की आय वृद्धि तथा किसानों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ साथ पशुओं के जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना भी है।
भाले ने कहा कि आज राजस्थान देश भर में दूध और ऊन के उत्पादन में पहले स्थान पर जबकि पशुओं की संख्या के आधार पर दूसरे स्थान पर है। लेकिन अभी हमारे सामने कई चुनौतियां भी हैं। पशुपालन क्षेत्र अब नई चुनौतियों का सामना कर रहा है। नई नई किस्म की बीमारियां, चारे की कमी, पशुपालन की नई तकनीक तक पशुपालकों की पहुंच, पशुपालन को उद्योग का दर्जा दिलाना कुछ ऐसी ही चुनौतियां हैं जिन पर गंभीरता से काम किया जाना है।
उन्हीं चुनौतियों को देखते हुए विकसित राजस्थान के दस्तावेज का रोड मैप तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि हर जिले में पशु विज्ञान केंद्र खोलने का भी प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा ग्राम स्तर पर पशुपालकों को नियमित प्रशिक्षण की व्यवस्था भी विकसित राजस्थान के दस्तावेज का हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विकसित राजस्थान दस्तावेज का जो रोडमैप तैयार किया गया है वह निश्चित रूप से आने वाले समय में राज्य के पशुपालन क्षेत्र में संभावनाओं के द्वार खोलने वाला सिद्ध होगा।
पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. भवानी सिंह राठौड़ ने कहा कि पशुपालन राज्य के कृषि अर्थव्यवस्था का अभिन्न हिस्सा है और ग्रामीण जनसंख्या को आजीविका प्रदान करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि विकसित राजस्थान 2047 के दस्तावेज को तैयार करते समय विभिन्न रोग नियंत्रण कार्यक्रमों के क्रियान्वयन को विशेष रूप से शामिल किया गया है। बैठक का संचालन करते हुए अतिरिक्त निदेशक (योजना एवं पर्यवेक्षण) डॉ. आनंद सेजरा ने विकसित राजस्थान 2047 के रोडमैप की प्रस्तुति पावरप्वाइंट के माध्यम से दी। उन्होंने अधिकारियों से सुझाव भी आमंत्रित किए।
सेजरा ने कहा कि संभागी अपने सुझाव ई मेल के माध्यम से अगले तीन दिनों के अंदर भिजवा सकते हैं। बैठक में पशुओं के स्वास्थ्य, टीकाकरण, पशुपालकों के प्रशिक्षण, चारा डिपो खोलने, पशु आहार पर अनुदान, ग्राम पंचायत स्तर पर पशु चिकित्सा केंद्र खोलने, पंचायत समिति स्तर पर पशुपालन प्रशिक्षण संस्थान खोलने जैसे कई महत्वपूर्ण सुझाव आए।
इनके अलावा पशुओं से जुड़ी समस्याओं और उनके निदान के लिए अलग से वेब पोर्टल निर्माण, गोशालाओं को स्वाबलंबी बनाने तथा पशुपालन और मत्स्य पालन को लघु उद्योग का दर्जा देने का सुझाव आया। बैठक में विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ. प्रकाशचंद भाटी, डॉ. सुरेश मीणा, डॉ. प्रवीण कुमार, आर सी डी एफ के प्रबंधक डॉ. संतोष कुमार शर्मा सहित राजस्थान पशुधन विकास बोर्ड, मत्स्य पालन विभाग, गोपालन विभाग के अधिकारियों तथा पशुपालकों ने भाग लिया।