जैन धर्मावलम्बियों के लिए वर्ष 2023 दोहरी खुशियां लेकर आया है एक और जहां चातुर्मास पांच माह क्ष् 149 दिनद्व का रहेगा वहीं दूसरी और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का निर्वाण का 2550वां वर्ष शुभारंभ भी चातुर्मास पूर्णाहुति के 15 दिवस पूर्व मनाने का सौभाग्य प्राप्त होगा। श्रमण डॉ. पुष्पेन्द्र के अनुसार अधिकमास हर तीसरे साल में आता है पर श्रावण मास के कारण पांच माह के चातुर्मास का दुर्लभ संयोग वर्ष 2004 में हुआ था और अब 19 वर्षों बाद प्राप्त हुआ है। अधिकमास सहित इस वर्ष 13 महीने होंगे और अधिकमास के कारण सावन माह 59 दिन का रहेगा, वहीं अधिकमास की अवधि 18 जुलाई से 16 अगस्त तक रहेगी। इस बार अधिकमास का असर यह होगा कि जुलाई के बाद आने वाले सभी बड़े त्यौहार 2022 की तुलना में 12 से 19 दिन की देरी से आएंगे। जैन मान्यतानुसार चातुर्मास आषाढ़ शुक्ला चैदस से प्रारम्भ होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। उल्लेखनीय है कि प्रतिवर्ष चातुर्मास के दिवस 120 होते हैं पर इस वर्ष श्रावण मास की अधिकता के कारण चातुर्मास 2 जुलाई से प्रारंभ होकर 27 नवंबर 2023 को समापन होगा जो कि कुल 149 दिवसीय चातुर्मासिक समय रहेगा। राजस्थान समग्र जैन युवा परिषद् के संरक्षक अशोक बांठिया ने जानकारी देते हुए बताया कि 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का 2550वें निर्वाण वर्ष की शुरूआत भी 12 नवंबर 2023 को भव्यतम रूप से सम्पूर्ण देश व विदेश में होगी।
पर्यूषण आराधना होगी सितंबर माह में:- वर्ष 2023 में श्रावण मास अधिक होने के कारण इस वर्ष पर्यूषण महापर्व की धर्म आराधना 11 सितंबर से प्रारम्भ व पूर्णाहूति संवत्सरी महापर्व के दिवस 19 सितंबर पर होगी।
ज्यादा समय मिलेगा तप, जप, आराधना का:- राजस्थान समग्र जैन युवा परिषद् के अध्यक्ष जिनेन्द्र जैन के अनुसार जैन परम्परा की मानें तो चातुर्मास के आयोजनों में एक माह अधिक होने की वजह से तप-आराधना का समय एक माह और मिलेगा। इससे इस साल विभिन्न धार्मिक आयोजनों की अधिकता रहेगी। समाजश्रेष्ठी बृजेन्द्र कुमार जैन ने बताया कि अब पुनः 19 वर्षों बाद वर्ष 2042 में श्रावण मास की अधिकता रहेगी, इसके पश्चात वर्ष 2061, 2080 व 2099 में भी श्रावण मास की अधिकता रहेगी जिससे इन वर्षों में चातुर्मास पांच माह का रहेगा l