राजस्थान में बीकानेर जिले की एक विशेष पॉक्सो (यौन अपराधों से बाल सरंक्षण अधिनियम) अदालत ने मंगलवार को एक दलित नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म करने तथा आत्महत्या संबंधी मामले में आरोपियों को सजा सुनाई है।
पॉक्सो अदालत के न्यायाधीश देवेंद्र सिंह नागर ने मंगलवार को मुख्य आरोपी एवं दुष्कर्म करने वाले अध्यापक विजेन्द्र सिंह को आजीवन कारावास और छात्रावास की वार्डन प्रिया शुक्ला और उसके पति प्रतीक शुक्ला को 6-6 साल की सजा सुनाई है।
अदालत ने आरोपियों को गत शनिवार को भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं, पॉक्सो तथा अनुसूचित जाति-जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराओं के तहत दोषी ठहराते हुए मंगलवार को इस मामले पर फैसला सुनाया है।
नाबालिग लड़की बीएसटीसी द्वितीय वर्ष की थी छात्रा
मुख्य आरोपी विजेन्द्र को दुष्कर्म, आत्महत्या करने के लिए उकसाने, अपहरण करने तथा अन्य अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया लेकिन शुक्ला दंपति को अपहरण, आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी ठहराया गया है। न्यायालय ने संस्थान के मालिक ईश्वर चंद बैद को सजा से मुक्त करार दिया।
साल 2016 में दलित युवती के आत्महत्या प्रकरण में परिजनों और समुदाय की तरफ से कई दिनों तक धरना प्रदर्शन किया गया था। नाबालिग युवती बीएसटीसी द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और कॉलेज के छात्रावास में रहती थी। दुष्कर्म के बाद नाबालिग का शव छात्रावास में पानी के कुंड में पाया गया था।