राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम सवाई माधोपुर डिपो (आगार) की लगभग सभी बसें पूरी तरह नाकारा हो चुकी हैं। जिनकी वैधानिक रूप से फिटनेस की जाँच की जाये तो शायद एक भी बस सड़क पर चलने योग्य नहीं है।
सवाई माधोपुर की खण्डार रूट पर चल रही रोड़वेज की एक भी बस चलने काबिल नहीं है। इस रूट पर रोड़वेज बसों से यात्रा करने वाले कई यात्रियों ने बताया कि ऐसा कोई दिन नहीं जाता जब खण्डार सवाई माधोपुर के बीच रोड़वेज ब्रेक डाउन नहीं करती हो, ये ही नहीं यात्रियों के जीवन से खिलवाड़ भी हो रहा है, और उन्हे निगम द्वारा लूटा भी जा रहा है।
पीड़ित यात्रियों का कहना है कि बस रास्ते में खराब होने पर जब यात्री दूसरी बस से आगे की यात्रा करने को मजबूर होता है तो ब्रेक डाउन बस कन्डेक्टर यात्री को किराया वापस नहीं करता है। ऐसे में एक ही स्थान पर जाने के लिए यात्री को डबल किराया देना पड़ रहा है। बस कन्डेक्टर, परिचालक कहते हैं कि बस खराब हो गयी तो निगम की बस द्वारा लिया गया किराया वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है।
ऐसी एक ही दिन में दो घटनाऐं रविवार 31 मार्च को सवाई माधोपुर खण्डार के बीच चलने वाली रोड़वेज बसों की देखने को मिली। रविवार को प्रातः 10 बजे सवाई माधोपुर शहर से खण्डार के लिए रवाना हुई सवाई माधोपुर आगार की बस (972) का बोदल से 2 किलोमीटर पहले जंगल में टायर पंचर हो गया। ड्राईवर तथा महिला परिचालक ने इस घटना की जानकारी आगार अधिकारियों को देने का प्रयास किया पर जंगल में उनके मोबाईल नेटवर्क ने काम नहीं किया। कुछ यात्रियों के नेटवर्क पकड़ने के बाद आगार को सूचना दी गयी पर कई घंटो तक कोई समाधान नहीं हुआ।
यात्रियों ने जिन्हे खण्डार, बहरावण्डा व रास्ते के गांवो को जाना था और बस परिचालक को पहले ही पूरा किराया दे चुके थे ने जब दूसरी बस में जाने के लिए किराया लौटाने की बात की तो परिचालक ने कह दिया कि निगम में किराया वापस करने का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे यात्रियों को दूसरी बसों से पुनः किराया देकर शेष यात्रा पूरी करने को मजबूर होना पड़ा।
इसी प्रकार 972 नम्बर बस की एवज में जब आर.जे. 32 पीए 971 नम्बर की बस को खण्डार भेजा गया जो सांय सवा 4 बजे खण्डार से सवाई माधोपुर के लिए रवाना हुई। वो बस कुशालीपुरा और भौमिया जी की टेक के बीच पलटते पलटते बची। बस में बैठी सवारियों ने कूद कूद कर बस से बाहर निकल कर अपनी जान बचाई। काफी मशक्कत के बाद उस बस को खाई से निकाला गया तब यात्री अपने गन्तव्य को पहुंचे। बस के ड्राईवर परिचालक का कहना था कि साहब हम क्या करें, हमें तो नौकरी करनी है, बस के इन्जन में ताकत ही नहीं है, अधिकारी सुनते नहीं है। यात्रियों का कहना था कि इस तरह की घटनाऐं आम बात है। आये दिन बसें और यात्री जंगल में पड़े रहते हैं।
हालातों को देखते हुऐ सवाई माधोपुर आगार प्रशासन को खण्डार श्योपुर की ओर जाने वाली इन सभी नाकारा बसों को बन्द कर सरकार व प्रशासन को अवगत करा देना चाहिए। अन्यथा कभी कोई बड़ा गम्भीर हादसा भी इन बसों से हो सकता है।