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नगर परिषद प्रशासन आचार संहिता की आड़ में उड़ा रहे है सरकारी आदेशों की धज्जियां

नगर परिषद प्रशासन आचार संहिता की आड़ में उड़ा रहे है सरकारी आदेशों की धज्जियां | तबादला होने के बावजूद नहीं किया दो कार्मिकों को रिलीव

सवाई माधोपुर 15 मार्च। (राजेश शर्मा)। स्थानीय नगर परिषद प्रशासन लोकसभा चुनाव को लेकर 10 मार्च से प्रभावी हुई आदर्श आचार संहिता की आड़ में सरकारी आदेशों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है।

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परिषद प्रशासन की इस गैर जिम्मेदाराना हरकत की जिला मुख्यालय पर जबरदस्त चर्चा है, कि नगर परिषद के आला अधिकारी व सभापति के चहेते दो कर्मचारी जिनका स्वायत्त शासन विभाग ने आचार संहिता लागने के एक दिन पूर्व आदेशों की प्रतिक्षा में रखते हुऐ निदेशालय स्वायत्त शासन में उपस्थिति देने के आदेश के साथ तबादला कर दिया था जिनको आचार संहिता लगने की आड़ लेकर आज तक कार्यमुक्त नहीं किया है।
घटनाक्रम के अनुसार स्वायत्त शासन विभाग के अतिरिक्त निदेशक ने 9 मार्च 2019 को आदेश क्रमांक प.1ग( ) का/ एसएमई/ डीएलबी/ 19/ 4136, दिनांक 9.3.19 के जरिये नगर परिषद सवाई माधोपुर में अपनी कार्यप्रणाली को लेकर बहुचर्चित स्वास्थ्य निरीक्षक गजेन्द्र सिंह व कनिष्ठ सहायक विकास शर्मा को एपीओ कर निदेशालय में उपस्थिति देने के आदेश जारी किये थे। आदेश में यह बात भी स्पष्ट लिखी हुई है कि ये कार्मिक इस आदेश के द्वारा अपने वर्तमान पद से स्वतः कार्यमुक्त माने जायेगें, तथा बिना कोई कार्यग्रहण काल का उपयोग किये अविलम्ब अपने नवीन पद पर कार्यग्रहण करेगें।
आदेशों के अनुसार दोनों कार्मिकों को बिना किसी औपचारिकता के निदेशालय में उपस्थिति देनी चाहिए थी, लेकिन वे आज दिनांक तक नगर परिषद सवाई माधोपुर में ही कार्य कर रहे हैं।
इस सारे घटनाक्रम पर शुक्रवार को पत्रकारों ने आयुक्त नगर परिषद रविन्द्र यादव से चर्चा की तो उन्होने कर्मचारियों को कार्यमुक्त करने के बारे में कोई ठोस जवाब नहीं दिया, ना ही कोई ठोस कारण बताया पर उन्होंने कहा कि उन्हे यह आदेश देर से प्राप्त हुऐ थे, इस कारण वे अब जिला निर्वाचन अधिकारी से मार्गदर्शन मांग रहे हैं। जैसा उन्हे वहाँ से मार्गदर्शन मिलेगा उचित निर्णय करेगें। दोनों कार्मिकों के कार्यमुक्त ना होने पर खुद भी अच्छा नहीं मान रहे हैं।
ऐसी चर्चा है कि दोनों कार्मिकों को और नगर परिषद प्रशासन को 9 मार्च की शाम को ही पता चल गया था कि इन्हे एपीओ कर निदेशालय लगाया है, लेकिन सभापति ने जानबूझकर आयुक्त पर दबाव बनाकर कार्यमुक्त नहीं करने दिया। जबकि आचार संहिता 10 मार्च को सांय से प्रभावी हुई थी।
अब मामला आयुक्त और जिला निर्वाचन अधिकारी के बीच का है कि वे दोनों इस मामले में क्या निर्णय लेते हैं। ये बात बिल्कुल सही है कि ये दोनों कार्मिक अपनी कार्यप्रणाली को लेकर काफी चर्चित हैं, और आमजन व पार्षदों में भी इनके प्रति भारी आक्रोष है। चर्चा तो यहाँ तक भी है कि सवाई माधोपुर विधायक भी इन कार्मिकों को बचाने में मदद कर रहे हैं।

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