जिला मुख्यालय पर कोरोना काल में भी सफाई व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई नजर आ रही है। गंदगी बढ़ने से मच्छरों के पनपने व अन्य मौसमी बीमारियों के भी महामारी बनने के हालात होते दिखाई दे रहे हैं। एक ओर जहाँ प्रति दिन जिला प्रशासन एवं नगर परिषद प्रशासन द्वारा कोविड-19 संक्रमण से उत्पन्न कोरोना महामारी से बचाव एवं जागरूकता के लिए प्रयास करने की बात कही जा रही है। लेकिन कोरोना के अलावा अन्य बीमारियों को समझने के कारण मौसमी बीमारियों का प्रकोप जिले में बढ़ता ही जा रहा है। लगभग हर घर में कोई न कोई सदस्य मौसमी बुखार से पीड़ित देखे जा सकते हैं। नगर परिषद प्रशासन सफाई पर कितना ध्यान दे रहा है इसका उदाहरण इसी से लगाया जा सकता है कि दैनिक देश की धरती समाचार पत्र कार्यालय के बाहर काफी समय से गंदगी फैली हुई थी। उसकी सफाई के लिए प्रयास किये लेकिन असफल रहे। होली के समय स्वयं ही यहाँ सफाई करवा दी गई थी। लेकिन उसके बाद जब नाली की सफाई हुई तो उसका कचरा वापस देश की धरती कार्यालय के गेट के सामने डाल दिया गया। धीरे धीरे वापस चारों ओर गंदगी फैल गयी। सफाई के लिए वार्ड पार्षद से भी कई बार आग्रह किया तो उन्होने बताया कि सफाई कर्मचारियों ने बताया कि सफाई हो गई है। जबकि वास्तव में आज तक भी यहाँ सफाई नहीं हुई। जब एक दैनिक अखबार के कार्यालय के बाहर ही कई माह से सफाई नहीं हो पाई तो अन्य स्थानों के बारे में क्या अंदाजा लगाया जा सकता है ?
यही स्थिति नगर परिषद क्षेत्र में रोड़ लाईटों की है। आधी से ज्यादा रोड़ लाईटें खराब है। कहीं तो रोड़ लाईटे दिन में जलती दिखाई देती है। वहीं रात को बंद रहती है। इस बारे में नगर विकास न्यास तो नगर परिषद पर और नगर परिषद, नगर विकास न्यास पर जिम्मेदारी डालकर अपनी जिम्मेदारी से मुकर रहे हैं। जिसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है। इन सारी समस्याओं को लेकर जब आम जन जिला कलेक्टर से सम्पर्क करते हैं तो जिला कलेक्टर भी उन शिकायतकर्ताओं पर ही उल्टा बरसते हैं। कहते हैं कि ये कोई मेरा काम है क्या। ऐसी स्थिति में पीड़ित आखिर अपनी मूल भूत सुविधाओं के लिए क्या अब मुख्यमंत्री तक पहुंचने के लिए प्रयास करेगा। अन्य जन प्रतिनिधि भी इन सारी जन समस्याओं को लेकर खामोश नजर आते हैं।