रीट पेपर लीक कांड में प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा और फेमा उल्लंघन में मुख्यमंत्री के पुत्र वैभव गहलोत पर गंभीर आरोप
तो अब अशोक गहलोत के दबाव में नहीं है कांग्रेस हाईकमान
विधानसभा चुनाव में प्रचार प्रसार के लिए राजस्थान ने डिजाइन बॉक्स कंपनी को ठेका दिया है। कंपनी ने प्रचार के लिए जो पोस्टर तैयार किया है, उसमें दो चेहरों को प्रमुखता दी गई है। एक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और दूसरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा। पोस्टर में इन दोनों के फोटो बड़े लगाए गए हैं, जबकि सोनिया गांधी से लेकर सचिन पायलट तक के फोटो ऊपर पासपोर्ट साइज में दर्शाए गए हैं। इस पोस्टर से जाहिर है कि विधानसभा का यह चुनाव गहलोत और डोटासरा के चेहरे पर लड़ा जा रहा है। इधर कंपनी ने यह पोस्टर जारी किया तो उधर ईडी ने इन दोनों चेहरों को दबोच लिया। 27 और 28 अक्टूबर को डोटासरा के जयपुर और सीकर आवासों पर ईडी ने गहन जांच पड़ताल की। यह जांच पड़ताल राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) के प्रश्न पत्र आउट होने से संबंधित थी। गत 26 सितंबर 2021 को जब रीट का पेपर आउट हुआ तब डोटासरा ही स्कूली शिक्षा मंत्री थे।
भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने आरोप लगाया था कि पेपर लीक में डोटासरा की भी भूमिका है। राज्य सरकार की जांच एजेंसी एसओजी ने भी माना कि रीट के पेपर लाखों रुपए में बेचे गए। एसओजी ने जिस स्थान पर जांच को छोड़ उससे आगे ईडी अब जांच पड़ताल कर रही है। आरोप है कि सीकर के कलाम कोचिंग सेंटर में डोटासरा के परिवार के सदस्यों की भागीदारी है। इसी प्रकार 30 अक्टूबर को ईडी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत से दिल्ली दफ्तर में 6 घंटे तक पूछताछ की। वैभव पर विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम फेमा के उल्लंघन का आरोप है। ईडी के अधिकारियों ने जानना चाहा कि वैभव गहलोत से जुड़ी कंपनियों ने सौ करोड़ रुपए की राशि मॉरीशस क्यों भेजी और फिर मॉरीशस से यह राशि वापस क्यों लाई गई? पूछताछ के बाद वैभव ने कहा कि जो जानकारी मांगी गई वह दे दी गई है। आगे की पूछताछ के लिए 16 नवंबर को फिर बुलाया गया है।
वैभव ने कहा कि राजस्थान में विधानसभा के चुनाव चल रहे हैं, इसलिए उन्होंने ईडी के अधिकारियों से आग्रह किया था कि चुनाव के बाद दिसंबर में बुलाया जाए, लेकिन अधिकारियों ने मेरे इस आग्रह को मानने से इंकार कर दिया। वैभव का कहना रहा कि वे प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री हैं, इसलिए चुनाव में व्यस्त है। मालूम हो कि राजस्थान में 25 नवंबर को मतदान होना है। डोटासरा के आवासों पर छापामार कार्यवाही और सीएम गहलोत के पुत्र से चुनाव के दौरान पूछताछ से ईडी की मंशा को समझा जा सकता है। हो सकता है कि वैभव गहलोत की तरह चुनाव के दौरान डोटासरा को भी दिल्ली के ईडी दफ्तर में बुलाया जाए। कांग्रेस ईडी के इस कदम को भले ही बदनाम करने वाला बताए, लेकिन आग तभी निकली है, जब धुंआ होता है। ईडी की कार्यवाही को आगे रखकर ही भाजपा यह बताएगी कि कांग्रेस किन दागी चेहरों पर चुनाव लड़ रही है।
गहलोत का दबाव नहीं: कांग्रेस ने राजस्थान में अब तक 95 उम्मीदवार घोषित किए हैं, शेष 105 उम्मीदवारों के लिए दिल्ली में मंथन चल रहा है। अब जब प्रदेश में 30 अक्टूबर से नामांकन शुरू हो गए, तब सीएम गहलोत चाहते हैं कि उम्मीदवारों की घोषणा हो जाए। 30 अक्टूबर को दिल्ली में सेंट्रल इलेक्शन कमेटी (सीईसी) की बैठक हुई। इस बैठक में अनिर्णय की स्थिति को देखते हुए गहलोत ने कहा कि जब सरकार गिराने वाले विधायकों को उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है, तब सरकार बचाने वाले विधायकों के नामों की घोषणा में देरी क्यों हो रही है। गहलोत ने यह बात पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के संदर्भ में कही।
गहलोत के इस कथन से जाहिर होता है कि इस बार कांग्रेस हाईकमान गहलोत के दबाव में नहीं है। संभवत: यह पहला अवसर होगा, जब हाईकमान गहलोत की अनदेखी कर रहा है। मालूम हो कि अगस्त 2020 में कांग्रेस के जो 18 विधायक पायलट के साथ दिल्ली गए उनमें से अधिकांश विधायकों को फिर से उम्मीदवार घोषित कर दिया गया है। जबकि सरकार बचाने के लिए जो विधायक गहलोत के साथ होटलों में बंद रहे उनमें से अधिकांश को अभी तक उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया है। इनमें मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ शामिल हैं। (एसपी मित्तल, ब्लॉगर)